पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/२२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

कलकत्ता १७ मुझे पसन्द नहीं । दूसरा एक रवैया यह चल रहा है कि दो-चार गाली राजाओं को भी दे दो। इस प्रकार का लीडर में नहीं हूँ। इस प्रकार की लीडरी मुझे नहीं आती है। मैं यह सब पसन्द नहीं करता क्योंकि इस तरह की बातों से हम जनता को अच्छी तालीम नहीं देते हैं। मैंने जब राजाओं का काम किया था, तो रियासतों में कई लोग कहते थे कि भई, यह राजाओं को हिन्दुस्तान में ले तो आया, लेकिन तब से रिया- सतों के लोगों को दुख है । हिन्दोस्तान के आजाद होने पर कुछ राजा तो यह समझे थे कि अब वे जो चाहें सो कर सकते हैं। मैंने चालीस रियासतों को तो बिल्कुल एक दो रोज्ञ में साफ कर दिया। तब सब लोग समझ गए कि कोई नई बात हुई है। मैंने राजाओं को भी समझाया और रियासतों के लोगों को भी समझाया। दोनों को एक दूसरे का साय देने को कहा । मैं राजाओं से कहता हूँ कि जो रैयत को नहीं मानेगा, उस राजा को अगर मैं रखना चाहूँ, तो भी वह नहीं रह सकता। वह जरूर चला जाएगा। वह रह ही नहीं सकता। इसी प्रकार जो धनिक लोग हैं, उनको भी मैं समझा देना चाहता हूँ कि धन तो आपके पास तभी रह सकता है जब कि आप उन लोगों को भी खुश रक्खें, जिन लोगों के पास से आप धन पैदा करते हैं। लेकिन म अगर लेबर को कोई तालीम न दें, तो हमारी आधुनिक लेबर बहक जाएगी। लोग कहते हैं कि हमें मजदूरों का राज चाहिए । ठीक है । मैं भी उसे पसन्द करता हूँ। इग्लैंड में वहां की फौज को अपने लोगों पर गोली चलानी नहीं पड़ती। वहाँ तो अपने सिपाहियों को भी नहीं चलानी पड़ती। इधर हर रोज गोली चलानी पड़े, जब कि पुलिस हमारी, प्रधान मण्डल हमारा और फौज हमारी। फिर भी हमें अपने भाइयों पर गोली चलानी पड़े, इस प्रकार का राज लेने से क्या फायदा हुआ? यह तो बहुत बुरी और नुकसान देनेवाली बात इसलिए यह चीज हमें छोड़ देनी चाहिए। इसके लिए हमें लोगों को अच्छी तालीम देनी चाहिए । एक रोज हड़ताल कराने से कोई लीडरशिप कायम नहीं होती है । लीडरशिप आप भले ही ले लीजिए, लेकिन मुल्क का फायदा किस तरह से होगा, वह तो देखिए । आज हमारे पास न तो पूरा अनाज पैदा होता है, न हमारे पास पूरा कपड़ा है। जिन्दगी की जरूरियात की जितनी चीजें हैं, वे सब हमारे पास पूरी नहीं हैं । मकान बनाना हो तो उसके लिए लोहा चाहिए, वह नहीं मिलता, सीमेंट चाहिए तो वह भी नहीं मिलता। हमारी रेलवे की भा०२