पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/२२२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

अलाहाबाद युनिवर्सिटी २०१ वह अनमोल निधि पाई, जो आज हमारे पास है। मुझे आशा है, आप उन्हें धीरज से सुनेंगे। सत्य और अहिंसा उस लड़ाई के प्रधान गुण थे। आत्म- बलिदान, दुख और त्याग उन सिपाहियों के बैज थे, जिन्होंने यह लड़ाई लड़ी। सहिष्णुता और एकता हमारे संकेत शब्द थे और सेवाभाव हमारा पथ-प्रदर्शन करता था, स्वार्थ भावना नहीं । हमने घोर युद्ध किया, परन्तु स्वच्छता के साथ । संकुचित स्थानीय विचारों ने हमें कभी नहीं डिगाया, बल्कि हमने अपने देश के बड़े हितों को सदा अपने सामने रक्खा । शक्ति और अधिकार के पदों का हमारे लिए कोई आकर्षण नहीं था। हम छोटे-से-छोटे लोगों के साय रहे । उन्हीं के साथ हमने सभी तरह के दुख भी उठाए और देश के बड़े-से-बड़े लोगों के साथ टक्कर ली। मैं यह सब कुछ डींग मारने के लिए नहीं कह रहा हूँ। बल्कि एक गर्व की भावना से यह सब आप को बता रहा हूँ। क्योंकि जो कुछ मैंने कहा है वह, सब बीते समय के इतिहास के पन्नों पर बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा है। परन्तु आज देश का जो नक्शा हमारे सामने है, वह उससे कितना भिन्न है । ऐसा लगता है, मानो एक बरस में ही हममें से वह भावना और वह गुण निकल गए हैं, जो उस लड़ाई में थे। जो भावना हमने उस महान गुरू की प्रेरणा से और उसकी रहनुमाई में पाई थी, खेद है कि अब हमारा वह नेता हमारे साथ नहीं । उसका चला जाना, और उससे जो भारी चोट हमें लगी, वे दोनों स्वयं इस बात का फलस्वरूप थी कि हम उस मार्ग से हट गए थे, जो उसने हमारे लिए बनाया था और जिस पर एक वक्त हम ऐसी सफलता के साथ चले थे । अब तो ऐसा मालूम होता है कि हमें जालसाज़ियाँ करने में और सत्ता पाने के लिए दौड़धूप करने में आनन्द आता है। आज हमारे जो मुकाबले होते हैं, उनमें खेल के स्वस्थ नियमों का ध्यान न कर हम उन्हें गन्दा बना देते है। हम केवल चाल के रूप में सत्य को सराहते हैं, जब कि हमारे मिजाजों और दिलों पर हिंसा का राज है । हमारी बुद्धि और हमारे काम सिकुड़े मार्ग में ही चलते हैं। हमारे बड़े-बड़े उद्देश्य और देश के महान हित हमारी आँखों से ओझल होते जा रहे हैं। हमारे दिलों में गड़बड़ी और बेतरतीबी फैली हुई है। सिपाहियों का वह समस्त अनुशासन और जनता के प्रति अपने धर्म की भावना हम लोगों में कम होती जा रही है। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि इस चित्र में मैं कोई बात बढ़ा कर नहीं दिखा रहा हूँ। हाँ, जो परिवर्तन हुआ