पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/२२९

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२०८ भारत की एकता का निर्माण । प्रोग्राम हमें हाथ में लेना है, जो साधारण लोगों के जीवन-स्तर को ऊँचा करने का साधन बनेगा । दामोदर घाटी बाँध, हीरा कुद बाँध, भाखड़ा बाँध, और इसी तरह चंबल, कोसी, तुंगभद्रा, गोदावरी, नर्मदा और ताप्ती की बहु- उद्देशी योजनाएँ इस बड़े प्रोग्राम के कुछ उदाहरण हैं। हमें देश की छिपी हुई दौलत से लाभ उठाना है। पेट्रोलियम, कोयला, लोहा, बाक्साइट, और दूसरे खनिज जो इस मुल्क में बहुतायत से पाए जाते हैं, परन्तु अनुभवी आदमियों और कारीगरों की कमी और पर्याप्त पूंजी के अभाव के कारण उनकी ओर हम ध्यान नहीं दे सके थे । अब उधर भी हमें काम करना है। पर यह सब करके भी हम अपनी विशाल आजादी के एक छोटे-से भाग को ही छू सकेंगे । हमारा देश कृषि प्रधान है और हमारे सामने खेती के मज- दूरों की एक बहुत बड़ी संख्या की भी समस्या है, जो साल में काफी समय के लिए खाली रहते हैं। उनके लिए और उन पर आश्रित उनके परिवारों के लिए हमें को-आपरेटिव ढंग पर घरेलू धंधों की एक कुशल और सुसंगठित व्यवस्था बनानी है और उसको बढ़ाना है । हमें एक ऐसी राष्ट्रीय शिक्षा की बुनियाद भी रखनी है, जो हमारे लोगों की प्रकृति, उनकी जरूरतों और उनकी विशेष योग्यता के अनुकूल हो। हमें स्वस्थ बुद्धि और स्वस्थ शरीरों के आधार पर एक स्वस्थ और सबल राष्ट्र बनाना है। अब रियासतों को लीजिए । जिस सफल ढंग से रियासतों को राष्ट्र का अंग बना लिया गया है और उन्हें प्रजातान्त्रिक रूप देने की कार्रवाई की जा सकी है, उसके लिए मुझे बहुत-सी बधाइयाँ और मानपत्र दिए गए हैं, और मेरी बहुत प्रशंसा की गई है। मगर जैसा मैंने अपने नागपुर के भाषण में कहा था, कि अगर मैं इन सब का अधिकारी भी हूँ तब भी अभी बधाई देने का समय नहीं आया। असली काम तो अब शुरू हुआ है। बह यह है कि सदियों से जो कुछ हमने खोया है, उसको पूरा किया जाए और रियासतों में एक ऐसी व्यवस्था बनाई जाए, जो एकदम मजबूत और कुशल हो । हमें इस बात का पक्का प्रबन्ध करना है कि पुराने और नये को मिलाकर एक ऐसा सुन्दर चित्र बनाया जाए, जो कुल हिन्द के नक्शे में ठीक बैठ जाए। आप इस बात का ध्यान रखें कि बहुत-सी रियासतों में जनतन्त्र-शासन के प्रारम्भिक साधन भी नहीं थे और बहुत-सी रियासतों में स्थानीय पंचायतें आदि भी नहीं थीं, और सन