पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/२३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

95 भारत की एकता का निर्माण गाड़ियाँ टूट-फूट गई हैं। हर जगह पर देखो तो हमारा सारा साजो-सामान टूट- फूट गया है । हमने स्वराज्य तो पाया, लेकिन हमारे देश की अवस्था अभी बहुत कमजोर है, उसको हमें मजबूत बनाना है । वह बनाना हो, तो उसमें आप लोगों को हमारा साथ देना पड़ेगा। यदि आप कहें कि नहीं भई, तुम अच्छा राज नहीं करते हो । आप तो वैसा ही राज चलाते हो, जैसा परदेसी चलाते थे। तो हम आज ही छोड़ दें। तब आप यह बोभ उठाइए । लेकिन जैसा आप करते हैं, ऐसा हम हठ भी नहीं करेंगे। हम किसी भी सूरत में देश का बिगाड़ नहीं करेंगे । यदि आप बोझ न उठा सकें, तो हम यह बोझ उठाएँगे, लेकिन उसमें आप हमारा साथ दीजिए। आज प्रफुल्ल बाबू की कलकत्ता में हुकूमत है, तो इसके लिए आपको मगरूर होना चाहिए । आपको समझना चाहिए कि यह हमारा आदमी है, हम उनके पास आ-जा सकते हैं। पहले गवर्नमेंट हाउस में आप नहीं जा सकते थे । पहले जो हुकूमत करनेवाले थे, उसके पास तो आप जा ही नहीं सकते थे। आपको पुलिस के साथ अपना बरताव बदलना चाहिए । पिछली सरकार फौज से जो काम लेती थी, उस प्रकार का काम हमें नहीं लेना चाहिए। आज फौज हमारी है और उसको देख कर हमें मगरूर होना चाहिए । देश के सिपाही हमारे हैं, पुलिस हमारी है, उनपर हमें मगरूर होना चाहिए । उनको सिखाना चाहिए कि किस तरह से पुलिस का काम करना होता है । यह सब चीज, सारा पुराना ढंग, हमें बदलना पड़ेगा। पिछली गवर्नमेंट के साथ हमारी जो लड़ाई चलती थी, उसी चाल से अब हमें नहीं चलना है। नहीं तो हमारा सारा ढाँचा टूट जाएगा, और उससे किसी को कोई फायदा नहीं होगा। हमें हिन्दुस्तान का राज बराबर ठीक तरह से चलाना हो, तो वह दो तरह से चल सकता है। एक तो जिस तरह गान्धी जी कहते है, इस तरह का राज, अर्थात् रामराज्य' । तो रामराज्य में तो खुला दरवाजा रख के भी सो जाओ, तो कोई हर्ज नहीं। तब पुलिस की कोई जरूरत नहीं होगी। कोई दूसरों की चीज को लेने की इच्छा ही न करे, कोई किसी से मार-पीट न करें और सब एक दूसरे को भाई समझकर एक कुटुम्ब की मुआफिक रह सकें, तब राम- राज्य होगा। उसके आने में तो अभी बहुत देर है । अभी तो उसमें एक भी बात नहीं है । तो गान्धी जी के रास्ते पर हम चलने की पूरी कोशिश करें, वह तो ठीक है । लेकिन आज यह हालत नहीं है। आपने इधर कलकत्ता में 'डाइरेक्ट