पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/२३४

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बात (१६) कांग्रेस विषय समिति, जयपुर १७ दिसम्बर, १९४८ सदर साहब, जो प्रस्ताव आपके सामने रखा गया है, उस पर बहुत-से संशोधन भी रखे गए हैं। प्रश्न बड़ा बिकट है, इससे इसपर बहुत बहस हुई है। दूसरे इस विषय पर दिल खोलकर बोलने से तकलीफ होती है। फिर भी अगर चन्द बातें में आपके सामने न रखू, तो मैं शरणार्थियों की कुसेवा करूंगा। इस में हमारा मतभेद नहीं है कि शरणार्थियों की पूरी मदद की जाए। मतभेद इसमें होता है कि जो कुछ किया गया है, उसकी योड़ी-सी तारीफ तो छोड़ दो । तब मुझे कुछ तकलीफ नहीं होगी। आज आपकी गवर्नमेंट है। वह अपना कर्तव्य पालन नहीं करती है, तो उसे उठा क्यों नहीं देते ? चाहे कोई भी गवर्न. मेंट बनाओ, इस मामले में वह कोई पूरा सन्तोष नहीं दे सकेगी, यह इतनी कठिन समस्या है । साथ-साथ जो मुसीवत हम पर आई, उसका भी सामना हमें करना और संशोधन पास करने से मकान नहीं बन जाते। हर एक आदमी अलग-अलग राय बताता है । मकान तो तब बनेगा, जब उसके लिए कांग्रेस के जयपुर अधिवेशन की विषय समिति में शरणार्थियों के बारे में प्रस्ताव पेश करते हुए सरदार पटेल ने १७ दिसम्बर ४८, शुक्रवार की दोपहर के १२३ बजे यह भाषण दिया था। है। केवल