पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/२३५

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1 २१४ भारत की एकता का निर्माण जरूरी सामान मिलेगा । कौन ऐसा मूर्ख होगा, निष्ठुर होगा, जिसकी सहानुभूति शरणार्थियों से न होगी। लेकिन इस सहानुभूति से शरणार्थी के पेट को कुछ नहीं मिलेगा । इस प्रस्ताव में हमें ऐसी भाषा का उपयोग नहीं करना चाहिए, जिस से शरणार्थी का दिमाग उलटा चले । आपका मकसद दूसरा हो, तो अलग बात है। आप लोगों से मैं यह कहना चाहता हूँ कि गुस्से में आकर जो लोग बोलते हैं, उस से आपको क्रोध में बह नहीं जाना चाहिये । आप को देखना चाहिए कि जो लोग उस प्रश्न पर काम कर रहे हैं, वे क्या करते हैं और क्यों करते हैं। देश भर पर टैक्स डाल दो, यह कहना तो आसान है। हमारी कुछ गलती हो तो हमारे पास आओ, हम से बहस करो, हमें समझाओ । मगर कोई आकर कहते हैं कि नहीं करोगे, तो शान्ति नहीं रहेगी। मैं कहता हूँ कोई भी धमकी दे, मुल्क में अशान्ति नहीं होगी। आपको दुख है, तो वह क्रोध की आग बढ़ाने से कम नहीं होगा। में अनुभव से कहता हूँ कि आपके लिए देश भर में पूरी सहानुभूति थी। मगर आप जिस तरह से काम करते हैं, सहानुभूति कम होती जाती है। यह कठिन प्रश्न हल करने के लिए दिमाग ठण्डा रख कर जो कुछ भी हो सके, वह हमें करना है। हमारी गवर्नमेंट में कोई भी ऐसा नहीं है, जिसे शरणार्थियों से पूरी सहानुभूति न हो । फिर भी अगर यों ही गवर्नमेंट पर हल्ला किया जाएगा, तो उसका बुरा परिणाम आएगा। हमने रिफ्धूजी मिनिस्टरी बनाई, इसी काम के लिए केबिनेट की कमेटी बनाई। मगर गवर्नमेंट पर हल्ला करने से शरणार्थियों को नुकसान होगा। शरणार्थियों को अगर आप बहका दें और मुल्क में अशान्ति करवाएँ, तो उसकी जिम्मेवारी आप पर होगी। अगर कांग्रेस जिन्दा नहीं है, तो मुरदे के पास चिल्लाने से क्या फायदा ? कोई राजा-महाराजा हो, चोर-डाकू हो या कोई दुखी आदमी हो, मगर किसी को अशान्ति करने का अधिकार नहीं है। सिन्ध, पंजाब, बलूचिस्तान और फ्रंटियर में तो मामला साफ़ हो गया। वहाँ कोई हिन्दू सिख रहेगा ही नहीं। परन्तु पूर्व बंगाल का मामला कठिन है। वहाँ के हिन्दू नरम और कमजोर लोग हैं। मगर पंजाबी लोग तगड़े हैं । हमारे पास आकर भी वे झगड़ते हैं, उन में इतनी ज़िन्दगी है । पूर्व बंगाल के लोगों की मुसीबत इसलिए ज्यादा है कि वहां तो लोग खाली भूखे मरते हैं, वहाँ इज्जत का भी सवाल है। इसलिए मैंने कहा कि साथ बैठकर फैसला करो। कोई दूसरा रास्ता हो तो मुझे बताइए।