पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/२३७

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(१७) फतह मैदान, हैदराबाद २० फरवरी, १९४९ हैदराबाद रियासत के रह्नेवाले भाइयो और बहनो, आप लोगों से मिलने का यह पहला ही मौका मुझे मिला है और इस मुला- कात से मैं बहुत खुश हूँ। बहुत दिनों से आपसे मिलने की मेरी इच्छा थी। आप जानते हैं कि पिछले कुछ दिनों में आप लोगों को बहुत कष्ट उठाना पड़ा और उपर हम लोगों को भी आपकी वजह से एक प्रकार की निद्राविहीन रातें काटनी पड़ी । हम सब को बहुत परेशानी हुई, लेकिन परमात्मा की कृपा से सारा काम इस तरह हो गया कि आप लोगों का कष्ट भी कम हो गया और हमारी इज्जत भी बच गई। नहीं तो, काम तो होता ही, लेकिन दुनिया में हमारी बदनामी होती और नुकसान भी बहुत होता। अब कई लोग मुझको सलाह दे रहे हैं कि मुझे क्या करना चाहिए । बहुत से लोग बिना माँगे ही अच्छी-अच्छी राय दे रहे हैं और मुझे सबकी राय सुननी भी चाहिए । सो मैं सुन भी रहा हूँ। जब यह मुसीबत उठी थी, तब भी बहुत लोगों ने मुझे इसी तरह राय दी थी और जवाब में मैंने कहा था कि आप लोग हम पर भरोसा कीजिए और ईश्वर पर भरोसा कीजिए: सब ठीक हो जाएगा। आपने देखा कि ईश्वर पर भरोसा रखने से हमारा काम बिगड़ता नहीं है । तो आज भी जो लोग मुझे अच्छी-अच्छी सलाह दे रहे हैं, कि मैं जल्दी में सब बातों का फैसला कर