पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/२४४

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हजम करनी फतह मैदान, हैदराबाद २२१ कहते हैं कि उनका विश्वास कैसे किया जाय। उनमें से मैंने बहुत से ऐसे अफ़- सरों का विश्वास किया है, जिनके साथ हम ज़िन्दगी भर लड़े, जिन्होंने हमें जेलों में डाला। विश्वास रखना हमारा काम है, लेकिन जो विश्वासघात करे, उसका घात करना भी हमारा धर्म हो जाता है। ( तालियाँ ) तो आप लोगों को पुराने अफसरों से डरना नहीं चाहिए। लेकिन पर- मात्मा ने हमको हैदराबाद के दो करोड़ आदमियों की जिम्मेवारी दी है और यह जिम्मेवारी हम फेंक नहीं देंगे। मैं आपसे कहना चाहता हूँ कि हम लोग हैदराबाद में आए और यहाँ हम ने एक केअर टेकर गवर्नमेंट बनाई, उसको कितना टाइम लगा? पिछले दिनों में यहाँ कितनी मार-काट हुई ? मैने सुना है कि अभी तक यहाँ ऐसे लोग हैं जो औरों को भी मारने की तैयारी में हैं। हमें चीन और बर्मा से सबक लेना चाहिए। हमारे देश के आसपास जो चल रहा है, जो आग फैल रही है, उसी आग में हमें हिन्दुस्तान को नहीं जलाना है। सारी जिन्दगी बरबाद कर हम लोगों ने आजादी इसलिए नहीं ली। यह जो आजादी हमें मिल गई है, वह । हमें ऐसा काम भी नहीं करना है कि हिन्दुस्तान के लोग कहने लगे कि इस आजादी से तो पहली गुलामी ही बेहतर थी। हम लोग जो रात-दिन मेहनत कर रहे हैं, उसका उद्देश्य यही ह कि आप लोग खुद अपना बोझ उठाने के लिए तैयार हो जाओ। हमारे जो चन्द कांग्रेस के काम करने वाले लोग इतने दिनों के बाद बाहर आए हैं, मालूम नहीं पिछले दिनों वह क्या काम करते थे ? चन्द दिनों से वे बाहर निकले हैं। वह देख ही रहे हैं कि कितने लोग उनका साथ देते हैं। आप लोग खाली एक-एक वोट देने के लिए तैयार हो जाएँ, केवल उससे काम नहीं चलेगा । यहाँ हैदराबाद में जो पुरानी पोलीस है, उनका दिल किती चीज़ में नहीं है । वे इस प्रकार की हालत में पड़े हैं कि सारी ज़िन्दगी जो काम किया, अब उसी से उल्टा काम करना पड़ता है। हम लोगों ने जो थोड़ी-सी पोलीस बाहर से लाकर रक्खी है, वह यहाँ के लोगों को जानती नहीं, उनको पहिचानती नहीं। उन्हें अभी यह मालूम नहीं कि यहाँ चोर कौन है और साहूकार कौन है । और जब पकड़ने का समय आता है, तो बहुत से लोग कहने लगते हैं, मैं तो कोई साम्यवादी नहीं हूँ, समाजवादी नहीं हूँ, में तो कांग्रेसमैन हूँ। लेकिन जब पकड़ने वाले लोग चले जाते हैं, तो तुरन्त मालूम पड़ जाता है कि वह तो झूठ बात कहते थे। तो आज तक हैदराबाद में