पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/२४७

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२२४ भारत की एकता का निर्माण लेकिन अभी भी वहाँ से सामान आता है। क्या हैदराबाद का भी दिमाग उन लोगों में पड़ा है ? तो मैं कहना चाहता हूँ कि हैदराबाद का सवाल हैदराबाद को हल करना है। इसके लिए कोई बाहर से आने वाला नहीं है, कोई और बाहर से सलाह नहीं दे सकता । हैदराबाद को हिन्दोस्तान कभी छोड़ भी नहीं सकता और न कभी उसको नेगलेक्ट ( उपेक्षित) कर सकता है । तो हमारे ऊपर एक जिम्मे- बारी है कि हम हैदराबाद को जल्दी-से-जल्दी ठीक कर लें। इसमें मुझे कोई सलाह देने की ज़रूरत नहीं है। अगर यहाँ बोझे उठाने के लिए कोई लोग तैयार हों, और दूसरे सब कोई उन्हें मदद देने के लिए तैयार हों तो उन्हें उत्तरदायित्व देने में जितनी मदद बन सकेगी में दूंगा । लेकिन मेरे हाथ से कोई मैला काम नहीं होगा । क्योंकि में हिन्दुस्तान की तरफ से ज़िम्मेदारी से बोल रहा हूँ। मैं सबसे पुनः कहूँगा कि यदि कोई पुराना पाप अपने दिल में रखेगा, या पुराना ज़हर बाहर निकालेगा तो वह हैदराबाद का नुकसान करेगा और खुद अपना भी नुकसान करेगा। पिछली बातों को भूल जाओ और जल्दी से हैदराबाद की आबोहवा साफ कर दो। साफ़ करने का मतलब यह है कि हम एक दूसरे के साथ मिलकर हैदराबाद की आर्थिक और राष्ट्रीय स्थिति ठीक करने में लग जाएँ । यहाँ जो साम्यवादी या कम्युनिस्ट लोग हैं, जो नौजवान कम्युनिस्ट बनके इधर हैदराबाद में बढ़ आए हैं, उनमें कई लोग तो सिर्फ उत्पात करने के लिए इधर आए हैं, क्योंकि इस तरह उन्हें काफी पैसा मिलता है। मैं उनसे कहता हूँ कि हैदराबाद को छोड़ दो, दूसरी जगह पर जाओ, क्योंकि हैदराबाद में एक कम्युनिस्ट को भी में सहन नहीं करूंगा। (तालियाँ) मेरी बात का मतलब यह है कि हैदराबाद में जो जहर फैल रहा है, वह सारे हिन्दुस्तान का काम बिगाड़ रहा है । इसीलिए इन लोगों को हैदराबाद छोड़ कर बाहर चले जाने की सलाह में दे रहा हूँ। तो बहुत से लोग आस-पास से आ कर इधर पड़े हैं। जितने कम्युनिस्ट यहाँ पकड़े जाते हैं, वह बाहर से आए हैं। वह बाहर से क्यों आए? इसीसे मैं उनसे कहता हूँ कि तुम बाहर जाओ, जहाँ तुम्हारे लोग हैं, वहाँ जाओ। तुम इधर क्यों आए ? जब इस तरफ हैदराबाद की आजादी की लड़ाई चलती थी, लब कुछ-न-कुछ बहाना निकाल कर वे इधर आ गए । उसमें उन्होंने क्या काम किया, वह में कहना नहीं चाहता। भला किया, बुरा किया, रुकावट की, वह सब कुछ मैं कह्ना नहीं चाहता। लेकिन