पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/२४८

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फतह मैदान, हैदराबाद २२५ मैं यह ज़रूर कहना चाहता हूँ कि अब काम बिगाड़ने का समय नहीं रहा। कोई कहता है कि इन लोगों ने अच्छा काम किया । ठीक है, अच्छा किया होगा। लेकिन अच्छा और बुरा दोनों को मिलाने से नतीजा जो निकलता है, वह बुराई का ही होता है। आज हैदराबाद का सारा काम इसीलिए रुक रहा है। देखिए, हमें अब चुनाव का काम करना है । तो यदि यहां मतपत्रक बन जाए, इलेक्टोरल रोल बन जाए तब तो हमारा काम आगे चले । और इलेक्टोरल रोल बनाने के लिए हमें बाहर से आफिसर ला के रखने हैं । यह कम्युनिस्ट लोग वहाँ भी पहुंच गए हैं और इलेक्टोरल रोल बनाने के काम में भी रुकावट डालते साथ-ही-साथ एक और काम भी आप को करना है। हमारे मुल्क में, जैसा कई और जगहों पर है, हजारों लोग अस्पृश्य माने जाते हैं। उनकी हालत बहुत बुरी है । इन अस्पृश्य लोगों की सेवा भी आज हमें करनी है । हम कोई ऐसा काम न करें, जिसकी वजह से उनके दिल में ऐसी भावना पैदा हो जाए कि हैदराबाद तो आजाद हुआ, लेकिन हमारी आज़ादी अभी नहीं आई। जैसी गुलामी पहले श्री, वैसी गुलामी अब भी है । हमने सारे हिन्दुस्तान में से अस्पृश्यता को नष्ट करने के लिए आन्दोलन शुरू किया है, कानूनों से हमने अस्पृश्यता को बन्द किया है। यहाँ की कांग्रेस का यह भी कर्तव्य हो जाता है । हमें अपनी सारी ताकत इन लोगों को उठाने के लिए खर्च करनी है । दूसरा काम मजदूरों का है । हैदराबाद में जो कारखाने चलते हैं, जो इण्डस्ट्रीज चलती हैं, उनमें मजदूरों को क्या वेतन मिलता है ? यह आज तक कुछ भी चला हो, लेकिन अब इस तरह से नहीं चल सकता । हिन्दुस्तान में मजदूरों के लिए जो कानून है, हिन्दुस्तान में उन्हें जो वेतन मिलता है और जिस प्रकार उनका संगठन बनता है, वह सब हमें यहाँ भी करना है। इस प्रकार मजदूर को राहत मिलनी चाहिए और उसको उत्तेजना मिलनी चाहिए, ताकि वह ज्यादा से ज्यादा काम करे। लेकिन यह जो कम्युनिस्ट लोग यहाँ आए है, और जो हमारे यहाँ फले-फूले हैं, उसका कारण हम भी तो हैं, कि हमने मजदूरों और गरीबों को दबा रखा है । हमने किसानों को भी इसी तरह दबाया, मज- दूरों को इसी तरह से दबाया और उससे कम्युनिस्टों को उनमें काम करने का मौका मिला । तो जिस प्रकार मछली को पानी में घूमने की जगह मिलती है, मौज मिलती है, उस प्रकार कम्युनिस्ट लोगों को इधर मौज मिल गई। भा० १५