पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/२५५

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२३२ भारत की एकता का निर्माण हैं, उनको हमने दिल से मिला दिया होता, तो आज हिन्दुस्तान की शक्ल ही दूसरी होती । लेकिन हम भूले-भटके लोग गलत रास्ते पर चले और उसके बुरे असर से हिन्दुस्तान की कोई यूनिवसिटी भी बच नहीं सकी । तो आप कैसे बचते ? मैं इसमें आप का कोई दोष नहीं निकालूंगा। लेकिन मैं हृदय से आपसे एक बिनती करूँगा, जिसके ऊपर आपको पूरी तरह सोचना है। इस विश्वविद्यालय में जिन नौजवानों ने शिक्षा पाई है और जिनको आज पदवी दी जाती है, उन लोगों के ऊपर जो जिम्मेवारी आने वाली है, उसका ख्याल करने के लिए में बड़े अदब से आप से अर्ज करूंगा। क्योंकि आप लोगों ने इतने बड़े जल्से में, इतने साक्षियों के सामने आज शपथ ली है । आपने प्रतिज्ञा की है कि यह पदवी लेकर आप जिन्दगी भर इस प्रकार की कोशिश करते कि योग्यता से अपना जीवन निबाहें । यदि इतने नौजवान सच्चे दिल से यह कोशिश करते रहें, तो मेरे दिल में पक्का विश्वास है कि हिन्दुस्तान का भविष्य उज्ज्वल हो सकता है। और इतने नौजवान यदि समझ लें कि जिस प्रकार इस विश्वविद्यालय में कल्चरों का मिलान किया गया है, उसी तरह से हमें अपने दिलों का मिलान करना है, तब हमारी भलाई होगी। जो कुछ हमारी किस्मत में था, वह हो गया । और जो कुछ हुआ, उसके ऊपर हमें परदा डाल देना चाहिए । अब तो अपना भविष्य, और अपने मुल्क का भविष्य बनाने का काम हमारे सिर आ पड़ा है। हम में इस बात की योग्यता है या नहीं, यह तो खुदा को ही मालूम है । लेकिन मैं आपसे कहना चाहता हूँ कि हिन्दुस्तान में चार करोड़ मुसलमान रहते हैं। उन्हें ३० करोड़ बाकी गैर -मुसलमानों के साथ मिलकर रहना है । हम सब को मिलकर हिन्दुस्तान का भविष्य बनाना है । यदि पाकिस्तान का भविष्य ठीक करना हो, तो वह भी हमीं लोग कर सकते हैं, वह दूसरों से नहीं हो सकता । (तालियाँ) क्योंकि आप को यह समझना चाहिए कि हम इस भूमि में पैदा हुए, इसी मिट्टी से बने और आखिर में इसी मिट्टी में हमें मिल जाना है। तो जैसा महात्मा गान्धी ने जिन्दगी भर हमको सिखाया, कि सब मजहबों में जो अच्छी बातें हैं, सब मजहबों में जो सही चीजें हैं, उन्हें घोल-घोल कर पी जाने की कोशिश करनी चाहिए । हमारा अपना मज़हब तो अच्छा है ही, मगर और मजहब भी अच्छे हैं। मजहब में जाने-अनजाने जो बुराई और गुस्सा आ गया है, उसको हमें निकाल देना है । उससे हमें अलग रहना है। इस विश्वविद्यालय के जो