पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/२५६

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। उस्मानिया युनिवर्सिटी में प्रोफेसर और आचार्य लोग हैं, उन पर बहुत बड़ी जिम्मेवारी है। आप लोग, जो इस में शिक्षा पाते हैं और जो पदवी लेने की कोशिश कर रहे हैं, उन पर इससे भी बड़ी जिम्मेदारी है । क्योंकि कल हिन्दुस्तान के भविष्य का बोझ आप लोगों के ऊपर पड़ने वाला है । मैं आपसे यह कहना चाहता हूँ कि बहुत दिनों बाद हमारा मुल्क गुलामी से छूट गया है और आज हमारे सामने बहुत से मैदान हैं । काम करने का बड़ा मैदान हमारे सामने खुला पड़ा है। यदि हमारे में योग्यता होगी, तो हमें बहुत से थोपनिंग (निकास) मिलने वाले हैं। लोगों को डिग्री लेने के बाद पहले चाकरी हासिल करने के लिए जो दौड़भाग करनी पड़ती थी, वह आप लोगों को नहीं करनी पड़ेगी। परन्तु यह तभी होगा, यदि आप में योग्यता होगी। कई सदियों के बाद यह मौका हमें मिला है । तो हमारा कर्तव्य है कि इससे लाभ उठाएँ। यह डिग्री लेकर हमने यह प्रतिज्ञा ली कि हम खुदा की बन्दगी करेंगे और अपने फर्ज पूरे करेंगे, इसके लिए खुदा हमें योग्यता दें। हमें नम्नता से कहना चाहिए कि यह हमारा मुल्क है, जिसमें हमारा जन्म हुआ, जिसमें हमने शिक्षा पाई और जिसमें हमें अपनी जिन्दगी बसर करनी है । अपने मुल्क की तरक्की के लिए हमारा क्या कर्तब्य है, क्या जिम्मेदारी है, यह सब चीज़ हमारे ख्याल रखने की है । पीछे जो हमारी गल्तियाँ हुईं, खुदा वैसी गल्ती हमसे फिर न कराए, इसके लिए भी हमें प्रार्थना करनी है । खुदा की इबादत करना और भाई भाई की तरह हिन्दुस्तान में रहना हमारा फर्ज है। हिन्दुस्तान की इज्जत बढ़ाने के लिए, हिन्दुस्तान के सच्चे सपूत के मुआफिक हम रहें और रहना सीख लें, तभी यूनिवर्सिटी की जो डिग्री हमने पाई है, इसकी योग्यता हममें होगी। वाइस चांसलर साहब ने मेरे बारे में जो बातें कहीं, उनके बारे में मैं आपसे कुछ न कहूँगा। क्योंकि मैं जानता हूँ कि मैं कहाँ हूँ और मेरा स्थान क्या है। मुझे यदि अपनी जगह का ख्याल न होता, तब तो मैं पागल हो जाता। लेकिन मैं जानता हूँ कि मैं हिन्दुस्तान के एक वफादार सिपाही की जगह पर खड़े रहना चाहता हूँ और यदि वफादारी के इस मार्ग से मैं एक कदम भी चूक जाऊँ, तो मैं खुदा से प्रार्थना करूँगा कि मेरा जीवन उसी समय खत्म हो जाए। क्योंकि इन्सान की असली कदर तो उसके जीवन के बाद होती है। मरने तक जो गल्ती नहीं करता, तभी उसका जीवन ठीक होता है । लेकिन ऐसे लोग कितने है, जिन्हें यकीन हो कि वे कभी गल्ती न करेंगे? ऐसा दावा कौन कर