पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/२५८

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हैदराबाद म्युनिसिपैलिटी के अभिनन्दनोत्सव में २५ फरवरी, १९४९ मैसूर म्यूनिसिपैलिटी के अध्यक्ष और म्यूनिसिपैलिटी के सभ्यगण, आप लोगों ने मुझे जो मानपत्र दिया, उसके लिए मैं आपका आभार मानता हूँ। मैं इधर कोई दस-बारह साल के बाद आया हूँ। इस बीच में दुनिया बहुत उलट-पलट हो गई है। हिन्दुस्तान में भी उलट-पलट हुई है और आपके यहाँ भी काफी उलट-पुलट हुई है। देश में कुछ अच्छी और कुछ बुरी वातें हुई हैं, लेकिन ईश्वर की कृपा से आपके यहाँ कोई बुराई नहीं हुई, और ठीक शान्ति से मैसूर राज्य की प्रगति हो रही है । दुनिया में आज सभी जगह अशान्ति है । आज दुनिया में जो एक प्रकार की बाहर की शान्ति दिखाई पड़ती है, वह असल में शान्ति नहीं है। हर मुल्क में बहुत सी तकलीफें हैं, बहुत बेचैनी है । यूरोप, एशिया जहाँ कहीं देखें, जिस प्रकार का अमन और शान्ति होनी चाहिए, वैसी नहीं है । हिन्दुस्तान में हम लोगों की इच्छा थी कि हम हिन्दुस्तान को आजाद कर दें, वह इच्छा एक तरह से पूरी हुई । दूसरी तरह से जो उम्मीद रखी थी, वह पूरी नहीं हुई। एक तरफ तो हमने विदेशी राज को हिन्दुस्तान से हटाया। दूसरी तरफ हमने जिस प्रकार आपस में मार पीट की, गुण्डागर्दी की और दुनिया के सामने जो