पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/२६३

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२४० भारत की एकता का निर्माण उतना अनाज म पैदा कर सकते हैं। उससे ज्यादा भी पैदा कर सकते हैं। लेकिन मैंने यह भी कहा कि हमारे मुल्क में सात फी सदी शार्टेज (कमी) है। इसे पूरा करना क्या बड़ी बात है ? यदि हमारे पास सात फी सदी अनाज कम है, तो हम आसानी से उसका बन्दोबस्त कर सकते हैं। बाहर से इतना अनाज मंगवाने में जो तकलीफ उठानी पड़ती है, और जो रुपया देना पड़ता है, वह हम क्यों करें ? उससे तो हमारी आर्थिक स्थिति ही बरबाद हो जाती है। आज हम एक सौ तीस (१३०) करोड़ रुपये का अनाज बाहर से मँगवाते हैं और साथ ही हमें एक सौ साठ करोड़ (१६०) रुपया अपनी फौज़ पर खर्च करना पड़ता है । इतना रुपया हम कहाँ से लाएँ ? हमारे जो नौजवान मजदूरों में काम करते हैं, वे उन्हें कहते हैं कि ज्यादा तनख्वाह मांगो और न मिले, तो रेलवे में हड़ताल कर दो। वे कहते हैं कि आज कारखाने बन्द कराएँगे। एक तरफ खर्चा बढ़ाओ और दूसरी तरफ कारखाने बन्द कर दो। हमारे सरकारी कर्मचारी भी मांगते हैं कि हमको ज्यादा तनख्वाह दो। कम में हमारा काम नहीं चलता । उधर बेचारा स्कूल मास्टर तो रोता ही रहता है। उसका तो कोई नाम भी नहीं लेता। वह कहता है कि झाड़, निकालनेवाले भंगी को भी हम से ज्यादा तनख्वाह मिलती है। इस तरह से सब जगह ज्यादा तनख्वाह मांगते हैं। दूसरी तरफ हमारे पास फालतू पैसा है नहीं। तो कैसे काम चलेगा? यह किस प्रकार का स्वराज हमको मिला है, यह आपको समझ लेना है। असली हालत को अगर हम अभी से नहीं समझ लेंगे, तो स्वराज में हमें कोई मजा नहीं आएगा । इसलिए अभी से हमें तैयारी करनी है। क्योंकि अब शान्ति स्थापित हो गई है । अगर शान्ति न हो, तब तो कोई काम हो नहीं सकता। हमारे हिन्द में शान्ति तो हुई, लेकिन साथ-साथ हमें जितना रचनात्मक काम करना चाहिए, उतना हम नहीं कर सके, तो भी हमारा काम नहीं चलेगा। इसलिए हम सब को मिलकर हर जगह पर समझ-सोच कर काम करना है। अनाज के लिए हमें पहला यह काम करना है कि जिन लोगों को खाना मिलता है, उन लोगों को अनाज का एक दाना भी बिगाड़ नहीं करना चाहिए। जहां तक हो सके, जितना ज़रूरी है, इतना ही पकाना, इतना ही खाना चाहिए। बाकी का अनाज बचाना चाहिए । बहुत लोग अपनी बेपरवाही से अनाज को बरवाद करते हैं । वे अपनी जिम्मेवारी नहीं समझते कि इस मुल्क में अनाज की कमी है । दूसरा एक काम हमें यह भी करना चाहिए कि इस मुल्क के जिस