पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/२६५

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२४२ भारत की एकता का निर्माण काम वह चाहते थे, वैसा काम नहीं हुआ। इसका मुझ को दर्द है। इसी की मुझे तकलीफ है । इसलिए मैं आप लोगों से बड़ी इज्जत से यह कहना चाहता हूँ कि आप लोगों को जो स्वराज मिला और रेस्पान्सिबल गवर्नमेंट (उत्तरदायी सरकार ) मिली, वह तो बहुत अच्छा हुआ, वह बहुत ठीक हुआ। लेकिन उससे आप लोगों के ऊपर जो जिम्मेवारी आ पड़ी है अगर उसे आप नहीं समझेंगे, तो आपको बहुत तकलीफ होगी । और जब हमारे लोग तकलीफ में आ जाएंगे, तब वे कहेंगे कि वह जो पहला राज्य था, ठीक था। तब आपको बहुत मुश्किल पड़ेगी और हमको भी मुश्किल का सामना करना पड़ेगा। अब हिन्दुस्तान में हम किसी जगह पर इस प्रकार का अलग राज्य नहीं रहने देना चाहते, जो सब के साथ न चले। अब तो सारे हिन्दुस्तान को एक साथ चलना है । कोई आगे और कोई पीछे नहीं रह सकता। हम सब को एक साथ चलना है । तो सब राज्यों में, सब रियासतों में, सब स्टेटों में, सब प्रान्तों में करीब-करीब एक ही प्रकार का राजतन्त्र बंध जाए और सबकी प्रगति एक साथ चले। एक-एक जगह पर खड़ा रहे और दूसरा किसी और जगह पर, तो काम नहीं चल सकता । तो इस काम में आप सब लोगों का साथ हमें चाहिए । एक उदार राजतन्त्र की प्रथा मैसूर में चली आ रही है । मैसूर में काम करनेवाले लोग कुशल और अनुभवी हैं। उन लोगों को सावधान करने को मुझे कोई जरूरत नहीं । वह सब समझते हैं। लेकिन तो भी, सब समझते हुए भी, देश की जो पहली जरूरियात हैं, उन्हें अपने सामने रखना चाहिए । क्योंकि आज दुनिया अजीब हालत में पड़ी हुई है। अगर हम अपनी गदा न सम्भालें तो जिस जगह पर हमें दुनिया में रहना चाहिए, उस जगह पर हम नहीं पहुँच सकते । हमारे मुल्क के दो टुकड़े हो गए, तो भी यह एक बहुत बड़ा मुल्क है । इसमें बहुत धन पड़ा है और यहाँ के लोग बहुत समझदार हैं। सब मिलकर और झगड़े छोड़कर अगर अपना काम करने लगें, तो हमें किसी चीज़ की कमी न रहे। यों मुझे कोई डर की बात मालूम नहीं होती। मैं जो लोगों को सावधान करता हूँ, तो उसका यह मतलब नहीं है कि मेरे दिल में कोई अविश्वास है, या शंका है । लेकिन मैं लोगों को हमेशा जागृत रखने का काम करता हूँ। क्योंकि यदि हमें अपने मुल्क को आगे बढ़ाना है, तो हमें हमेशा जागृत रहना चाहिए । हमारा मुल्क बहुत बड़ा है और हम पर जो