पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/२६८

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मैसूर म्युनिसिपैलिटी के अभिनन्दन में २४५ आपने मेरा स्वागत किया, उसके लिए मैं आपका ऋणी हूँ। आप जो पूजा का पत्थर या (नींब) रखने का काम मुझ से करवाते हैं, वह बहुत बड़ा बोझ का काम है। और मैं इस बोझ से कांपता हूँ। यह काम कौन कर सकता है ? आज आप इसकी स्थापना कर रहे हैं, तो हर रोज आपको इस स्थान को और इस मूर्ति को याद रखना पड़ेगा। और उसे ध्यान में रखते हुए अपना दिल साफ रखकर आपको अपना काम करना होगा। यदि आप यह न करें, या आपके किसी काम से उनके नाम को कोई लाज लगे, तो आज की इस प्रतिष्ठा से कोई फायदा नहीं होगा। में उम्मीद करता हूँ कि जब आपने यह काम उठाया है, तो आपने उसकी पूरी जिम्मेवारी को समझ लिया है। उनका आशीर्वाद आप लोगों को मिले, यही मेरी इच्छा है।