पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/२७०

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पंजाब युनिवर्सिटी की ओर से डाक्टरेट मिलने पर २४७ डिग्री दी। इसे मैं बड़ी इज्जत समझता हूँ। इसके लिए मैं आप सब को धन्यवाद 1 देता हूँ। हमारे प्रान्त पर जो मुसीबत पड़ी, उसे हम कैसे भूल सकते हैं। अभी यह ज़ख्म ताज़ा है । लेकिन इस समय के बाद भी, जब यह जख्म ठीक हो जाएगा, तब भी हम कभी नहीं भूलेंगे कि हमारे सूबे की युनिवर्सिटी की शुरू-शुरू में क्या हालत थी। इस बात को हम कभी भूल नहीं सकते । न भूलना चाहिए । क्योंकि आजकल हम पर बोझ पड़ा है । हमें सोचना है कि भविष्य के लिए हमें अपने मुल्क, अपनी युनिवर्सिटी और अपने सूबे के लिए क्या करता है । मैंने बहुत जगहों पर युनिवर्सिटी के विद्यार्थियों को डिग्नियां पाते देखा है। लेकिन जिस हालत में आप आज डिग्री पा रहे हैं, वैसी हालत मैंने आज तक भी अभी न देखी थी। मैं आप के प्रति सिर्फ खाली सहानुभूति प्रदर्शन करने नहीं आया । मैं आपको यह बताने भी आया हूँ कि आया है कि हम अपना रास्ता देख लें। हमें क्या करना है और हम क्या कर सकते हैं, यह भी हमें देखना है। हमारे सामने भविष्य के सम्बन्ध में कौन-सा चित्र होना चाहिए। पंजाब हिन्दुस्तान का दिल है । उसे ज़ख्म लगा है, और जब तक यह ठीक नहीं होगा, तब तक हिन्दुस्तान बेचैन रहेगा। तब तक वह कोई और काम नहीं कर सकेगा। इसलिए आपको जल्द ही अपना दिमाग ठीक करना है। अपने सूबे का दिमाग ठीक करना है हमको जो जरूम लगा है, वैसा जख्म इतिहास में कितने ही मुल्कों को लगा। लेकिन अब हमें इस चीज़ को ठीक जगह रख कर सोचना है। यदि हमें आगे चलना है, तो हमें गुस्सा छोड़ देना चाहिए और सावधान बनना चाहिए। चोट लगे, तो गुस्सा भी आता है । कितनी ही गलतियाँ हुईं, बुराइयाँ हुई, जिन्हें हमने बरदाश्त किया । हमें अच्छी अच्छी चीजें छोड़नी पड़ीं। अपना सारा माल-मत्ता और जायदाद हमें छोड़नी पड़ी। हमारे बहुत-से आदमियों ने दुख उठाया । सूबा छोड़ा । अपना सभी कुछ छोड़ा। इस पर भी हमें यह भूलना नहीं चाहिए कि रोने से कोई फायदा नहीं। अब हमें सोचना है कि हमारा क्या फर्ज है। जितना हिस्सा हमारे हक में आया है, उसे ठीक करना है। और यह आसान काम नहीं । यह बड़ा मुश्किल काम है । लेकिन मैं मानता हूँ कि पंजाबी बड़े बहादुर हैं। जो दुख आपके सिर पर पड़ा, वह और लोगों पर पड़ा होता, तो वे उसे उठा न सकते। लेकिन आप