पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/२७२

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पंजाब युनिवर्सिटी की ओर से डाक्टरेट मिलने पर २४ ठीक दिमाग से काम नहीं करेंगे, तब तक हमारा काम पूरा नहीं होगा। जितनी चोट मास्टर तारासिंह को अपनी कौम के बारे में लगी है, उतनी ही चोट मुझे भी लगी है। जब हम ने पंजाब की तकसीम को कबूल किया था, उस वक्त मैंने देखा था कि पंजाब का हर आदमी बँटवारा चाहता था । बँटवारे में खतरा ज़रूर था। लेकिन हमने फिर भी उसे कबूल कर लिया। जो कष्ट बँटवारे से आया है, उसको हमने आपस में बाँटना है । लेकिन हम ही इस चीज़ को ठीक कर सकते हैं। जैसा हिन्दुस्तान है, उससे बेहतर हिन्दुस्तान हम बना सकते हैं। जो रुकावट हमारे रास्ते में थी, वह अब दूर हो गई है। विदेशी हुकूमत जब तक हमारे सर पर बैठी थी, हम कुछ नहीं कर सकते थे। यह बँटवारा विदेशी हुकूमत का नतीजा ही था। मैंने सब समझकर उसे मान लिया। हमने देख लिया कि आज की हालत में यह मुसीबत हमें सर पर लेनी ही है। मेरे साथ एक-एक पंजाबी भी शरीक है। अगर आज भी कोई कहे कि हिन्दुस्तान और पाकिस्तान मिल जाएँ, तो मैं इससे इन्कार कर दूंगा । अभी सांस लेने दो उन लोगों को। जब उनका दिमाग ठीक हो जाएगा, तो हम इस बात को भी मान लेंगे। अभी उन लोगों को वहाँ ही रहने दो। लेकिन मास्टर तारासिंह बार-बार कहते हैं कि हमें पाकिस्तान खत्म करना है। यह बात ठीक नहीं। पहले अपना घर तो ठीक कर लो। अगर पाकिस्तान ठीक हो जाए, तो इससे भी हमारा बोझ कम हो जाएगा। जहाँ हमारी इज्जत नहीं, बहाँ हम क्यों जाएँ। पाकि- स्तान कोई इस तरह से जा सकता है ? क्या आप समझते हैं कि पाकिस्तान को हम चाकू और छुरी से ले सकते हैं ? हमने तो अपने मुल्क का हिस्सा करके उन्हें दे दिया, कि जाओ यह तुम्हारा हिस्सा है । अब अगर कुछ करना है, तो अक्ल से करो। क्रोध से यह काम नहीं करना चाहिए। यह क्रोध का रास्ता गलत है। इस चीज पर तो हम दोनों के दस्तखत है। कई लोग कहते हैं कि दिल्ली जत्था भेजो। आजाद हिन्दुस्तान अभी एक साल का बच्चा है । ऐसी क्रोधभरी बातें कर वे खुदकुशी करना चाहते हैं। क्या एक छोटे से बच्चे को, जिसमें चलने की ताकत भी नहीं आई, हम दौड़ाएँ ? मैंने जो पदवी आपसे ली है, उसे मैंने इसलिए कवूल कर लिया कि आप लोगों को समझाने का मौका मुझे मिले। इस तरह मेरा काम हल्का हो सकता है । मैंने बहुत साल जेल काटी है, वहाँ जितना आराम था, इतना अब भी