पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/२७३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

२५० भारत की एकता का निर्माण मुझे नहीं है । मैं मास्टर तारासिंह के साथ जेल में बैठकर खुश हूँगा, क्योंकि वहां मुझे शान्ति मिलेगी । मैंने अपने हाथ से मास्टर तारासिंह को जेल भेजा है जिससे मुझे बहुत दुख हुआ। इतनी शर्म जिन्दगी में मुझे कभी नहीं आई थी। जो लोग कहते हैं कि हम जत्था भेजेंगे, वे सोचें कि इससे क्या होगा। मैं तो इस बोझ से छुटकारा चाहता हूँ। लेकिन मेरी जगह पर जो कोई भी आएगा, वह भी यही करेगा । अगर वह ऐसा न करेगा, तो मुल्क तबाह हो जाएगा। मैंने संघवालों को भी जेल में भर दिया। लोग कहते थे कि हिन्दुस्तान में एक ऐसा आदमी है जो हर शख्स का पक्ष लेता है। कुछ हद तक वे ठीक कहते थे । जैसा भाषण सरदार तारासिंह देते हैं, वैसा में भी दे सकता हूँ। उस भाषण से कुछ लोग पागल ज़रूर हो जाएंगे। यह समय लड़ने का नहीं है। सिख अलग अलग क्यों बैठे हैं ? वे एक क्यों नहीं हो जाते ? मैं उन नौजवानों को, जिन्हें पदवी मिली, समझाना चाहता हूँ कि उनका क्या फर्ज है । हम सिख और हिन्दू आपस में क्यों लड़ें? क्या इस बात पर कि हमको इतना टुकड़ा अलग चाहिए? हमने जो इतनी मुसीबत उठाई, इतने लोग बेइज्जत हो गए, वह सब क्या इसी- लिए कि हम आपस में एक दूसरे का गला काटें ? कांग्रेस में आ जाओ और जो चाहो ले लो। अलग होकर हिन्दुस्तान को पहले ही नुकसान हुआ है । मैं कहता हूँ, हमारा समय तो पूरा हो गया। मैं अब ७४ साल का बूढ़ा हो गया हूँ। पेंशन लेकर में शान्ति से बैठकर ईश्वर का नाम लेना चाहता हूँ। लेकिन वे मुझे छोड़ते नहीं। मैं चाहता था कि गान्धी जी के साथ चला जाऊँ। मैंने कोशिश भी की थी। लेकिन लोग कहते हैं कि मुझे तो ज्यादा जीना है । वे कहते है कि जो काम बाकी रह गया है, उसे मुझे पूरा करना है। मेरे पास बहुत समय नहीं है । मैं चाहता हूं कि आपको मज़बूत हिन्दुस्तान मिल जाए। ऐसा हिन्दोस्तान, जिसमें किसी चीज़ की कमी न हो। आप पर जो मुसीबत पड़ी, जो धन से भरा हुआ देश छोड़ कर आप इधर आ गए, उसमें आप को बड़ी तकलीफ़ उठानी पड़ी। क्योंकि अभी तो आप को जमीन पर ही बैठना पड़ता है। अभी रहने की झोपड़ी भी आपको नए सिरे से बनानी है । जमीन में अनाज भी पैदा करना है । अभी आप वह पैदा नहीं कर सकते । आपके कितने ही भाई दूसरे सूबों में बैठे । अभी हमें करोड़ों रुपये का माल बाहर से लाना पड़ता है। आपकी असेम्बली में चार आदमी ज्यादा गए तो उस से क्या होगा । जितने आदमी असेम्बली में जाते हैं, इस ख्याल से