पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/२७५

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२५२ भारत की एकता का निर्माण नौकरी की इच्छा तो हम विदेशी राज में सीखे । सिक्खों में मैंने देखा है कि वे सारी दुनिया में हर किस्म का कारोबार करते हैं। बिजिनेस में, जंग में, खेती में, रोजगार में हर जगह यह बहादुर कौम काम कर सकती है। इसको बेचारगी क्यों है ? मैं पूछता हूँ सिक्ख क्या ऊपर से गिरे? वे कहाँ से आ गए? वे पहले कौन थे? वे हमसे अलग क्यों होना चाहते हैं ? हमारी कमजोरी में भी आपने बहादुरी से काम किया। बहुत अच्छा किया। लेकिन अब तलवार का जमाना नहीं। अब कहीं दुनिया में तलवार नहीं चलती। कहीं देख लीजिए। तो अपना दिमाग टिकाने रखो । समझो कि हिन्दुस्तान की सरकार के वजीर आपके खिलाफ नहीं हैं। अगर हों, तो यह राज कैसे रहेगा? कोई भी राजनीति के बगैर नहीं चलेगा। हमारा पहला काम अपने इखलाक को मजबूत बनाना है। हिन्दुस्तान में जितने मजहब हैं, अलग-अलग कौमें हैं, अलहदा-अलहदा रंग हैं, अलग-अलग कपड़े हैं, यहां तक कि बाल बनाने के ढंग भी अलहदा अलहदा है। इस मुल्क में सब चीजें अलहदा-अलहदा हैं। उसके लिए राजनीति ज़रूरी है । हमें गान्धी जी के बताए हुए रास्ते पर चलना है। साथ-ही-साथ मुल्क की हिफाजत के सामान पैदा करना भी आपका फर्ज है। दुनिया की हालत देखकर हमें सोच समझ कर काम करना चाहिए। खाली तलवार से या धमकी से काम नहीं चलेगा। इनसे तो काम बिगड़ेगा। पंजाब में जब पिछली बार मैं आया था, उस वक्त हालत बहुत बुरी थी। मैंने सिक्ख लीडरों को जमा किया और उन्हें समझाया कि आप मुत्तहिद हो जाएँ। आजकल झगड़ा करने से काम खराब होगा। हमारे दस लाख आदमी पाकि- स्तान से इधर न आ सकेंगे। उधर जो मुसलमान जा रहे हैं, उन्हें रास्ता न देने से असुविधा होगी । आप रास्ता नहीं देते । इधर बारिश हो रही है। खाने का ठिकाना नहीं है । दुनिया कहती है कि क्या हम पागल हो गए हैं। अंग्रेजों ने तो हमें आजाद कर दिया पर हम खुद निभा नहीं रहे। मुसलमानों को जाने का रास्ता दे दीजिये। नहीं तो हम बदनाम होंगे। मैने यह सब कहा तो उस वक्त सिक्ख लीडरों ने मान लिया और रास्ता दे दिया। हमारे लोग इधर चले आए और उनके उधर चले गए। अब हालत यह है कि जख्म से खून आना तो बन्द हो गया है, लेकिन जरूम ठीक नहीं हुआ। वो पहला काम तो यह होना चाहिए कि नया खून न निकले।