पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/२८

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कलकत्ता २३ हैदराबाद में, काश्मीर में, सब जगह जो लोकमत हो, उसी प्रकार का फैसला करने में हमें कोई एतराज नहीं है । लेकिन यदि काश्मीर में आज जिस तरह से चल रहा है, उसी तरह चलता रहा, तो लोकमत करने की क्या जरूरत है ? हम लड़ाई करके काश्मीर को ले लें, तो फिर लोकमत की जगह कहाँ रही? तो हम कहते हैं आप भी प्लैबिसिट (लोकमत गणना) करो, वहां लोकमत ले लो । लेकिन आखिर कब तक हमारे सिपाही वहाँ मरते रहें, हम पर उनका खर्च पड़ता रहे और हमारे गाँव-के-गांव जलाए जाएँ, वहाँ हिन्दू और सिक्खों को तबाह किया जाए? यह सब जारी रहा, तो आखिर लोकमत कहाँ रहा ? फिर तो हम भी बन्दूक से ले सकते हैं। तब तो दूसरी तरह से कुछ हो ही नहीं सकेगा । हमने यह बात भी साफ कर दी कि हम काश्मीर की एक इंच जमीन भी छोड़नेवाले नहीं हैं । वह हम कभी नहीं छोड़ेंगे। आपको यह भी समझना है कि जब हम ऐसी नाजुक हालत में पड़े है, तब हमें आप छोटी-छोटी बातों पर तंग न करें। आज जब हिन्दुस्तान की यह हालत है, दुनिया की यह नाजुक हालत है, तब हमें क्या करना चाहिए? इस नाजुक हालत में अगर हम अपनी हुकूमत को ठीक नहीं चला पाएँगे, अगर उसे चलाने में आप साथ नहीं देंगे, तो हमारे देश को नुकसान होगा। इसलिए आज आप को केन्द्रीय सरकार का और प्रान्तों में जो हमारी हुकूमते हैं, उनका साथ देना चाहिए। तो आज आप जो लाखों आदमी यहाँ जमा हुए हैं, आप जो कलकत्ता के निवासी हैं, मैं आप लोगों से बड़ी अदब से कहना चाहता हूँ कि हिन्दुस्तान की ऐसी हालत में आपको हमारा एक मेसेज ( सन्देश ) देशभर में फैला देना चाहिए। वह सन्देश यह है कि आज देश की हालत बहुत नाजुक है, और उसमें हमें कोई हड़ताल नहीं करनी चाहिए, न कोई दूसरा तूफान खड़ा करना चाहिए । आज तो हम सब को मिल कर काम करना चाहिए। इधर कुछ लोग कहते हैं कि भाई, हमारे यहाँ सेक्युलर स्टेट ( धर्म-निर- पेक्ष सरकार ) चाहिए । यहाँ हिन्दुओं का साम्प्रदायिक राज नहीं होना चाहिए। कौन कहता है कि यहाँ साम्प्रदायिक राज बनाओ? हिन्दुस्तान में तो आज भी तीन-चार करोड़ मुसलमान पड़े हैं। यहाँ साम्प्रदायिक राज कैसे हो सकता है ? लेकिन एक बात यह है कि हिन्दुस्तान में जो मुसलमान पड़े