पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/२८३

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२५८ .... भारत की एकता का निर्माण सदियों तक घर करके क्यों बैठ गई? वह सब आज हमें याद करना है और निश्चय कर लेना है कि जिस कारण से गुलामी आई, उस कारण को हमें फिर आगे नहीं भाने देना है । हम गुलाम इसलिए बने थे कि हम आपस में एक दूसरे के साथ लड़े, खतरे के समय हम लोगों ने एक दूसरे का साथ नहीं दिया था। हम छोटे- छोटे टुकड़े बनाकर बैठ गए और अपने-अपने संकुचित क्षेत्रों में, अपने स्वार्थों में पड़ गए । अपने संकुचित क्षेत्र में भले ही हमने कुछ सेवा भी की हो, लेकिन उससे हमको नुकसान ही हुआ और जब समय आया तो हम एक साथ खड़े न रह सके । आज यह पहला मौका है, जब हिन्दुस्तान एकत्र हुआ है । अब वह इतना बड़ा है, जितना इतिहास में पहले कभी नहीं था। तो जो एकता आज हुई है, उसको हम मजबूत बनाएं, जिससे भविष्य में हमारी स्वतन्त्रता को कभी कोई हिला न सके। इस कार्य में आप सब लोग 'राजपूताना के सब नरेश गण और प्रजाजन साथ दें। आप के राजपूताना का एक-एक पत्थर वीरता के इतिहास से भरा हुआ है, बलिदान के सुनहले कारनामों से भरा हुआ है । आप के राजपुताना की पुरानी कीर्ति आज भी हमारे दिल को अभि- मान, हर्ष और उत्साह से भर देती है आज से उसी राजस्थान को नई दुनिया के योग्य नया इतिहास बनाने का अवसर प्राप्त होता है, यह कितने सौभाग्य की बात है। इस अवसर पर हमें समझ लेना चाहिए कि हमारा क्या कर्तव्य और क्या धर्म है ? पहले तो हमने कितनी ही बड़ी-बड़ी रियासतों को मिलाया है। जब हम मिलते हैं, तो हमारे दिल में कोई संकुचित ख्याल नहीं रहना चाहिए कि हम जयपुर के हैं, हम उदयपुर के है, हम जोधपुर के हैं, हम बीकानेर के हैं, या किसी और छोटी-मोटी जगह के हैं। ऐसा ख्याल हमारे दिल में बाकी नहीं रहना चाहिए । हम राजपूताना के हैं भी, तो सब से पहले हम हिन्दु- स्तानी है, उसके बाद हम राजपूताना के हैं । इस प्रकार के ख्याल से हमें यह कार्य करना है । हाँ, यह ठीक है कि हर जयपुरवासी को जयपुर का गर्व होना चाहिए; उदयपुर के रहनेवाले को अपने दिल में उदयपुर का गर्व रहना चाहिए। वैसे ही सब रियासतों में होना चाहिए । जिस जगह पर हमारा जन्म हुआ, जिस जगह की मिट्टी में से हम पैदा हुए, जिस मिट्टी में से हम अपनी शक्ति बढ़ाते रहे और बढ़ा रहे हैं, जिस मिट्टी में आखिर हमको मिलना है, उसको कैसे सकते हैं ? लेकिन एक छोटे से कुएँ. में जो मेढक रहता है, 1