पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/२८४

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1 संयुक्त राजस्थान का उद्घाटन करते हुए २५६ उसका दिमाग फैलता नहीं है, उसकी शक्ति भी बढ़ती नहीं । परन्तु महा: सागर में जो मगरमच्छ रहते हैं, वह जो खेल कर सकते हैं, वह कुएँ के मेढक नहीं कर सकते । तो असल में हम सब हिन्दोस्तान के हैं और हमारा दिल हिन्दुस्तान से भरना चाहिए । हिन्दुस्तान के लिए हमारी वफादारी चाहिए । जिस वफादारी के लिए आज जयपुर महाराजा ने प्रतिज्ञा ली है, और महाराणा ने प्रतिज्ञा ली है, जिस मुल्क की वफादारी के लिए, जिस सारे राजपूताना की वफादारी के लिए आपने, राजपूताना की सभी प्रजा ने, मिल कर अपना प्रधानमन्त्री चुना है, और जिस प्रधानमन्त्री से भी हम ने प्रतिज्ञा दिलवाई है उसका महत्व हम सब को समझ लेना चाहिए । हिन्दुस्तान की वफादारी का क्या मतलब है ? आज समय की क्या मांग है ? मुल्क की क्या मांग है ? ये सब चीजें इस प्रतिज्ञा से जुड़ी हुई हैं। तो यह जो राजप्रमुख ने प्रतिज्ञा ली, हमारे प्रधानमन्त्री ने प्रतिज्ञा ली और हमारे उप-राजप्रमुख ने जो प्रतिज्ञा ली उस सबका महत्व हम सब को समझना चाहिए। क्योंकि यह किसी व्यक्ति की प्रतिज्ञा नहीं है। वह सारे राज- पूताना की तरफ से प्रतिज्ञा है । मैं जो इधर यह संयुक्त राजस्थान का उद्- घाटन करने के लिए आया हूँ, अपनी व्यक्तिगत हैसियत से नहीं आया हूँ, न मेरी यह ताकत है, न मेरी यह लियाकत है। मैं आया हूँ हिन्दुस्तान की सरकार की ओर से और हिन्दुस्तान के एक वफादार सेवक की हैसियत से। मैं किसी एक गिरोह का सेवक नहीं हूँ। मैं राजा-महाराजाओं का वफादार सेवक हूँ, रियासत की प्रजा का में वफादार सेवक हूँ, हिन्दुस्तान की प्रजा का में वफ़ादार सेवक हूँ, और इसी हैसियत से यहां आया हूँ। इस हैसियत से मैंने इतनी बड़ी जिम्मेवारी ली कि महाराजा को प्रतिज्ञा दिलवाई, नहीं तो मेरी क्या हैसियत कि मैं व्यक्तिगत रूप से ऐसी उद्धताई कर सकूँ? मैं अपनी मर्यादा को समझता हूँ। तो आप जितने भाई-बहन इधर आए हैं, उन से मैं नम्रतापूर्वक प्रार्थना करना चाहता हूँ कि आप लोग इस समय का महत्व समझ लें और साथ ही अपनी जवाबदारी भी समझ लें। आज से हम इस चीज़ को भूल जाएँ कि हमारे बीच में कोई पर्दा है, कोई अन्तर है और कोई भेद-भाव है। आज सारा राजपूताना एक है । हम उसे एक दृष्टि से देखेंगे, तभी हम आगे बढ़ सकेंगे। आज हमने एक बड़ा राजस्थान बनाया है, उसका मतलब क्या है? राजाओं ने अपनी राज-सत्ता छोड़ दी, उसका मतलब क्या है ? यह काम हम क्यों करते