पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/२८५

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२६० भारत की एकता का निर्माण है ? आपको समझना है कि आज दुनिया जिस तेजी से आगे चल रही है, उस तेजी से हम आगे न चलें, तो एक तो हम पहले ही पीछे थे, अगर आज भी मन्द गति से चलें तो और भी अधिक पिछड़ जानेवाले हैं। सारे एशिया का हाल देखिए, आज कहाँ क्या चल रहा है ? दुनिया के और मुल्कों में क्या कुछ चल रहा है ? हम अपनी छोटी-सी रियासत में या छोटे-से किले में बैठकर बाहर की ओर नज़र न करें, तो हमारी रक्षा नहीं हो सकती । आज तलवार का जमाना नहीं है, ऐटम बम का जमाना है। आज हमें यह समझ लेना है कि तलवार का अधिकार किसी एक गिरोह का अधिकार नहीं है। आज आप जानते हैं कि आज मद्रास के लोगों को भी काश्मीर के पहाड़ों में हिन्दोस्तान के लिए लड़ाई लड़ने का मौका मिलता है, और हमारे कमांडर-इन-चीफ़ साहब इसी रेजीमेंट की तारीफ़ भी करते हैं कि वे बड़ी बहादुरी से काम कर रहे हैं। तो मैं आप राजपूतों से, जिन्होंने हिन्दुस्तान का इतिहास बनाया है, सच्चे दिल से अपील करूँगा कि हमें आज का ज़माना पहचान लेना चाहिए । और ज़माने को पहचान कर उसी रास्ते पर हमें चलना चाहिए । आज के जमाने में हमें ऊँच-नीच का भेद निकाल देना है, गरीब और अमीर का भेद निकालना है, राय और रंक का भेद निकालना है। हम सब ईश्वर के बालक हैं, यह सचाई हाँ महसूस करती है। इस रास्ते पर चलने की सच्चे दिल से कोशिश करना हमारा कर्तव्य है । मैं जानता हूँ कि जब हम सदियों तक एक ही रास्ते पर चलते रहे हैं, तो दूसरे रास्ते पर चलने की बात दिल जल्दी कबूल नहीं करता है। यह कठिनाई हम सब महसूस करते हैं। लेकिन जो समय को नहीं पहचाना, उसको पछताना पड़ता है। में अपने जागीरदार लोगों को भी मोहब्बत से और प्रेम से समझाने की कोशिश करता हूँ और मेरी उम्मीद है कि मैं उन लोगों को भी उसी तरह समझा सकूँगा, जिस तरह मैंने राजा-महाराजाओं को समझाया । क्योंकि मैं मानता हूँ कि उनका खुद का हित उसी चीज़ में है । सारा हिन्दुस्तान आजाद होने के बाद हमारे लिए पूरा मैदान खुला है और बहुत सी जगहें हमारे पास हैं, जहाँ हम मानपूर्वक अच्छी तरह से काम कर सकते हैं। यह सम्भव बना सकते है कि आज तक जो हमारा स्थान रहा है, उससे भी आगे हम जाएं। लेकिन, अगर हम यही समझ लें कि हमारे पूर्वज, या पूर्वजों के बाप-दादा को जो जगह मिली थी, उसी जगह पर हम भी बैठे रहेंगे और उतने ही