पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/२८७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

किया है। २६२ भारत की एकता का निर्माण तो मैं आप लोगों से प्रार्थना करना चाहता हूँ कि आप लोग अपनी जगह समझ लें और साथ ही आज के समय को भी पहचान यहाँ जो लोग कांग्रेस में काम करनेवाले हैं, उनसे भी मैं चन्द बातें कहना चाहता हूँ। उसमें किसी को बुरा नहीं मानना चाहिए, क्योंकि मैं खुद कांग्रेस का सेवक हूँ और कांग्रेस के सिपाही की हैसियत से बहुत साल तक मैंने काम खुद मानता हूँ कि में अभी तक भी एक सिपाही हूँ। लेकिन लोग जबरदस्ती मुझ से कहते हैं कि मैं सिपाही नहीं, सरदार हूँ। लेकिन असल में में सेवक हूँ। इसलिए मेरी सरदारी अगर हो भी, तो वह कोई चीज नहीं है। मैं अपने कांग्रेस के सिपाहियों से अदब के साथ कहना चाहता हूँ कि आप लोगों को समझना चाहिए कि हमारी इज्जत या हमारी प्रतिष्ठा किस किस चीज़ में है ? हम लोग यह दावा करते हैं कि हमारी जगह आगे होनी चाहिए, हमको सत्ता मिलनी चाहिए। हमें सोचना चाहिए कि हमारा हक क्या है ? क्योंकि हम दावा करते हैं ? तो दावा करने का हमारा अधिकार तो इसलिए बना कि हम महात्मा गान्धी जी के पीछे चलते थे? इसीलिए वह जगह हमें मिली । आज यदि हिन्दुस्तान स्वतन्त्र हुआ है, तो हमारी कुर्बानी से हुआ है, ऐसा कोई गर्व न करे । हम में से बहुत से लोग ऐसे हैं, जो समझते हैं कि हमने बहुत कुर्बानी की। की होगी, ठीक है । लेकिन जो नई कुर्बानी करनी चाहिए, वह कुर्बानी न करो, तो पिछली की गई कुर्बानी भी व्यर्थ हो जाती है। जेल जाने से कुर्बानी नहीं होती। या हमारी कोई मिलिकियत छिन गई, उससे कुर्बानी नहीं होती । कुर्बानी होती है, कडुवा धूंट पीने से । हम मान अपमान भी सहन कर जाएँ और सच्चे दिल से गरीबों की सेवा करते जाएँ, तो कुर्बानी उसी में है। उसी रास्ते पर चलने से हमारी असली इज्जत होगी । आज किसी-किसी जगह पर मैं देखता हूँ तो मुझे दर्द होता है कि हम में जो नम्रता होनी चाहिए, उसका अभाव है । जब मैं यह देखता हूँ, तब मुझे कष्ट होता है । कांग्रेसमैन का पहला कर्तव्य तो यह है कि वह नम्र बने । सेवक बनने का जिसका दावा है, वह अगर नम्रता छोड़ दे और उसमें अभिमान का अंश पैदा हो जाए, तो वह सेवा किस तरह करेगा? सत्ता लेने के लिए कोशिश करना हमारा काम नहीं है । सत्ता हम पर ठूसी जाए, तब बह और बात है। सत्ता खींचने के लिए हम अपनी शक्ति लगाएँ और कहें कि हमको मिनिस्टर बनना है, तो यह शर्म की बात है। हमारे लिए यह कहना भी ठीक नहीं कि