पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/२८८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

संयुक्त राजस्थान का उद्घाटन करते हुए २६३ हमारी राजधानी इस जगह पर होनी चाहिए या उस जगह होनी चाहिए। इन छोटी-छोटी चीजों का आग्रह करनेवाले लोग कांग्रेस को नहीं पहचानते । ऐसी बातें वही कर सकते हैं, जिन्होंने कांग्रेस में सच्चा काम नहीं किया है । लेकिन सच्चे कांग्रेसमैन को तो लोग धक्का मार कर आगे बैठाएंगे। क्योंकि वह सच्चा सेवक होगा। तो में आप से कहना चाहता हूँ कि मैं कई सालों तक कभी कांग्रेस के प्लेटफार्म पर भी नहीं गया था। में कभी व्याख्यान नहीं देता था और आज भी मुझे जब कोई व्याख्यान देना पड़ता है, तो मुझे कँपकँपी छूटती है। क्योंकि मैं नहीं चाहता कि मेरी ज़बान से कोई भी ऐसा शब्द निकल जाए, जिससे किसी को चोट लगे, जिससे किसी को दर्द हो, जिससे किसी को नुक- सान पहुँचे । मुंह से ऐसा व्यर्थ शब्द निकालना अच्छी बात नहीं है । यह सेवा का काम नहीं है । तो मैं यह कहता हूँ कि जो सिपाही है, वह धरती पर चलता है, इसलिए उसको गिरने का कोई डर नहीं है । मैंने कहा कि सिपाही सदा जमीन पर चलता । लेकिन जो अधिकारी बन गया, अमलदार बन गया, वह ऊपर चढ़ गया, उसको तो कभी गिरना ही है । यदि वह अपनी मर्यादा न रखे और मर्यादा की जगह न संभाले तो वह गिर जाएगा, और उसको चोट लगेगी। तो जो अधिकारी बनता है, उसको अधिकारी पद संभालने के लिए रात- दिन जाग्रत रहना चाहिए। यदि आप जानत न रहेंगे, तो आप को जरूर गिरना है । मैं कांग्रेस के कार्यवाहकों से उम्मेद रतूंगा कि हम अधिकार के पद की इच्छा न करें, मोह न करें, लालच न करें। जहाँ तक काम करने के लायक और लोग हमें मिल सकें, उन्हें हम आगे करें और उनसे काम लें। यदि खुद हमारे लिए इस जगह पर बैठना आवश्यक हो गया, तो हमारा हाथ साफ होना चाहिए, हमारा दिल साफ होना चाहिए, हमारी आँख साफ़ होनी चाहिए और हमारी जबान साफ़ होनी चाहिए । इस तरह से आप काम न करें तो आप अधिकार के योग्य नहीं हैं । तो आज तक जिनके पास सत्ता थी, उनकी हम टीका भी करते थे और सारा कसूर उन्हीं पर डालते थे। आज वह सारा बोझ हम पर आ गया है। अब राजपूताना भर में कहीं कुछ भी बिगाड़ होगा, तो उसका सब बोझ हमारे ऊपर पड़ेगा। उसमें यदि कोई भलाई होगी, तो उसके श्रेय का पहला हिस्सा उन लोगों को मिलना चाहिए, जिन्होंने सत्ता छोड़ी। आज से राजपूताना में यदि कोई बुराई होगी, तो कोई भी उसका दोष राजाओं