पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/३०४

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राष्ट्रीय मजदूर संघ का दूसरा अधिवेशन २७७ यह रथ आगे चलाता । वह बाकी और सबको पीछे छोड़ जाता है । तो आप लोगों ने इस संगठन में इतना करके दिखाया, इसलिए तो मैं आपको मुबारक- बाद देना चाहता हूँ। साथ ही में यह भी कहना चाहता हूँ कि आपने १७,००० मैम्बर तो बना लिए, लेकिन इन्दौर भर में एक भी मजदूर आपके संगठन से बाहर नहीं रहना चाहिए। कोई क्यों बाहर रहे ? आप १७ हजार मेम्बरों का यह कर्तव्य है कि और लोगों को भी आप अपने पास ले आएँ और उन पर जो बुरा असर पड़ रहा है, उसको हटाएँ । आपको यह समझाना चाहिए कि भोले भाले लोग, गलत बातों में फंस जाते हैं। इन्दौर के मजदूरों के बारे में तो मैं नहीं जानता, लेकिन यहां के कई लोग गान्धी जी के खून से पहले, ऐसे आन्दोलन में फंस गए, जिससे इन्दौर और ग्वालियर कुछ बदनाम हुए। आर० एस० एस० वाले जो लोग कुछ इस तरह से गलत रास्ते पर पड़ गए कि जिससे मुल्क को बहुत नुकसान हुआ। मजदूरों को ऐसी चीजों में नहीं फंसना चाहिए और जब कभी उनको कोई भी राय लेनी हो, तो अपने संगठन के मुख्य आदमी के पास जाना चाहिए । कोई बड़ा मामला हो तो अपने राष्ट्रीय इण्डियन ट्रेड यूनियन कांग्रेस से राय लेनी चाहिए । यह आपका सद्भाग्य है कि आपको खंडूभाई, गुलजारीलाल आदि लोगों की मदद मिली है। हमारे शास्त्री जी भी ट्रेड यूनियन का अनुभव करके आए हैं । उन्होंने काफी अनुभव किया। हमारी असेम्बली के भी वह मेम्बर हैं। बाहर के मुल्कों में भी वह देखकर आए हैं कि बाहर की क्या हालत है । इस तरह मार-पीट करने से और फिसाद करने से, खून खराबी के अलावा और चीज़ नहीं निकलती। हमारे हिन्दुस्तान की नीति तो गान्धी जी के रास्ते पर चलने की है। हम सारी दुनिया में शान्ति चाहते हैं। तो दुनिया की शान्ति, मजदूर की शान्ति से होती है और मजदूर वर्ग ही दुनिया में शान्ति करा सकते हैं । मजदूरों को सही शिक्षण मिलना चाहिए । कारखाने में काम करने के बाद आप स्वतन्त्र है। तब आप ईश्वर का भजन करो और अपने बच्चों को तालीम दो। जितने लोग अभी तक अपने से बाहर है, उनको समझाओ और शान्ति का वातावरण पैदा करो। कारखाने में जब काम करो, तो जितना ज्यादा पैदा हो सके, उतना ज्यादा पैदा करने की कोशिश करो । तब हमारा काम बनेगा । आपसे जो कुछ कहने को था, वह सब मैंने कह दिया । हमारे मुल्क में करोड़ों बेकार आदमी पड़े हैं, जिसके पास -