पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/३१

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हम तंग २६ भारत की एकता का निर्माण वहां किसी प्रकार का कोई संकट नहीं है। इंग्लैण्ड में आज मजदूरों का राज्य है। वहाँ भी बार-बार इस प्रकार की स्ट्राइक ( हड़ताल ) नहीं चलती। वे भी इसी फिक्र में हैं कि उनके कारखाने किस तरह से ज्यादा चलें और ज्यादा-से-ज्यादा माल किस तरह से पैदा करें। हिन्दुस्तान को किस्मत में एशिया की लीडरशिप के लिए लियाकत चाहिए। आज हमें कितनी ही प्रकार की चीजों के लिए बाहर जाना पड़ता है। बाहर से भी जरूरत की चीजें मिल नहीं रही हैं। सब जगह से हो रहे हैं। इस हालत में हमें अपने ही मुल्क में ज्यादा से ज्यादा माल पैदा करना है। मगर वे कहते हैं कि “गो स्लो" ! (धीरे चलो) । जरा धीमे पैदा करो। यानी हड़ताल करो। इस प्रकार का काम करने से तो न मजदूरों का भला होगा और न देश का भला होगा । दुनिया कहेगी कि एक बन्दर के पास एक हीरा हाथ में आया, तो बन्दरने समझा कि कोई फल है। हीरा हाथ में पकड़ वह उसे खाने लगा। मगर वह हीरा था, जब वह बन्दर के दांतों से न टूटा, तो उसने यह समझ कर उसे फेंक दिया कि वह तो पत्थर है । हीरे का दाम तो जौहरी ही समझ सकता है। इसी प्रकार अब देखना यह है कि हमारे हाथ में आज जो स्वराज्य आया है, उसका व्यवहार हम बन्दर की तरह करेंगे या जौहरी की तरह । जहाँ तक हमारा सम्बन्ध है, हमने तो परदेशियों की हुकूमत को हटाने का ठेका लिया था । वह हमने पूरा किया और आज हमारी जिन्दगी पूरी होने का भी समय आ गया है। अगला बोझ तो अब इन नौजवानों पर पड़ने वाला है, जो कहते हैं कि हमारी लीडरशिप पुरानी हो गई । मैं नौजवानों से कहता हूँ कि अगर तुम ठीक तरह से यह बोझ नहीं उठाओगे, तो आप भी मर जाओगे और मजदूर भी मर जाएंगे। आप को इस प्रकार काम नहीं करना चाहिए, जिस से हिन्दोस्तान का नुकसान हो। आज जरूरत इस बात की है कि हम ज्याद-से-ज्यादा और अच्छी-से-अन्छी आर्मी ( सेना ) रक्खें । ताकि दुनिया के किसी मुल्क से हमें भय न रहे। यह काम सारा देश मिल कर ही कर सकेगा। अब आप लोगों ने जिस प्रेम से मेरा स्वागत किया है, जिस मुहब्बत से मेरी बात सुनी है, उसके लिए मैं आपको मुबारकबाद देना चाहता हूँ । आप लोग इतने प्रेम से और इतनी बड़ी संख्या में यहाँ जमा होते हैं। उसका मतलब