पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/३१३

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२८६ भारत की एकता का निर्माण अब अगले साल हमें खूब काम करना है, क्योंकि मुल्क में हमने वह शान्ति पैदा कर ली है, जिस से हम दूसरा काम कर सकेंगे। अब भी हमारी जो सरहद है, उसपर तो हमें सावधान रहना ही है। अपना चौकीदार हमें ठीक रखना है। आप लोगों को मालूम होगा कि जब हमारा एकत्र हिन्दुस्तान था, तो हमारी फौज का खर्चा ११० करोड़ रुपया था। तब हमारी कुल फौज भी डेढ़ लाख ही थी। आज हमारी अकेले की फौज ४ लाख है और ढाई लाख फौज पाकि- स्तान की है। अब आप उसका खर्चा लगाइए । आज हमारा जो बजट है, उसमें दो हिस्सा हम आर्मी के लिए रवखें हैं। यह हमारी रक्षा का खर्च है। क्योंकि मुल्क में यदि अस्थिरता हो, तो कोई चीज़ बाकी नहीं रहेगी। तो हमें शान्ति तो रखनी ही है, सरहद की रक्षा भी करनी है। भूखे रह कर भी हमें अपने देश की रक्षा तो करनी ही होगी। हम मुल्क में कोई फसाद भी नहीं होने देंगे। तो आजादी तो हमको मिल गई, लेकिन हमें अपना दो हिस्सा बजट फौज पर खर्च करना पड़ता है। पाकिस्तान को भी यही करना पड़ता है, सबको यही करना पड़ता है । हम खर्च घटाएँगे, लेकिन उसमें से घटाने का चारा न हो तो हमें सावधान रहना चाहिए कि इस फौज के लिए हमें क्या क्या चाहिए। वह सब हमको रखनी है। तो उसके लिए हमें अपनी उद्योग इण्डस्ट्री को ठीक करना है। वह ऐसी बेकार पड़ी रहेगी, तो ज्यादा दिन हम ये फौज नहीं रख सकेंगे। हम यह फौज न रख सकें तो हमारी सलामती भी नहीं रह सकती । तो एक तो भूख पड़ी और दूसरी यह चोट पड़ी, तब तो हम मर जाएँगे। हमें दोनों चीजों को हटाना है । यह हमारा अगले साल का कर्तव्य है। हमारे सामने बहुत-सी कठिनाइयाँ हैं । युद्ध के यन्त्र आदि सब हमें बाहर से लाने पड़ते हैं। पहले अमेरिका से जो चीज़ सौ रुपया में मिलती थी, अब हमको उसी का एक सौ चवालीस रुपया देना पड़ता है। यह हालत हो गई है और यह सब हमारे हाथ की बात नहीं है। ऐसी और भी बहुत सी कठिनाइयां है, जिनका बयान करूँ, तो बहुत टाइम लगेगा। आज मेरी इतनी शक्ति नहीं है कि मैं खोलकर बात करूँ। यदि मुझ में ताकत आ जाए तो मैं किसानों में जाकर और किसानों में घूम-घूम कर उनको समझाना चाहता हूँ कि यह क्या कर रहे हो ? आप क्यों बम मारते हो कि दाम ज्यादा न मिले, तो हम अनाज नहीं देंगे। आपकी इन बातों