पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/३२

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कलकत्ता २७ में यह भी समझता हूँ कि आप लोगों में कांग्रेस के प्रति पूरी वफादारी और भक्ति है । आप के प्रान्त का जो टुकड़ा हुआ है, उस को चोट लगते हुए भी आपको हम पर इतना विश्वास है कि ये लोग जो काम करते हैं, समझ-बुझ कर आप की भलाई के लिए ही करते हैं। कांग्रेस आपके हित के लिए ही काम करती है । सो मैं आप को भी विश्वास दिलाना चाहता हूँ कि बंगाल का टुकड़ा हो जाने से जितनी चोट आप को लगी है, इससे ज्यादा नहीं तो, इतनी ही चोट हम को भी लगी है। आप ऐसा कभी न समझे कि हमें चोट नहीं लगी। लेकिन जब तक फल पका न हो, तब तक उसे खाने में मजा नहीं। जब फल पकता है, तभी उसमें मिठास आती है। मैंने जैसा कहा, जब तक पाकिस्तान को यह समझ न आ जाए कि यह काम बुरा है, तब तक हमें उसको बुलाना नहीं है । तो धीरज रखो। धीरज रख कर अपना काम ठीक करो। दूसरे के सामने न झुको और जो चीज हो गई है, उसको याद मत करो। आगे का रास्ता सोचो। आगे की मंजिल काटने के उपाय सोचो। यह करोगे तो पीछे वाला अपने आप ठीक हो जाएगा। फिर उसमें कुछ भी करने की कोई जरूरत आपको नहीं रहेगी। हमने आगे की भी सोची है, पीछे की भी सोची है। और सोच-विचार कर हमने जो निष्कर्ष निकाला है, वह मैं आपको कहना चाहता हूँ। हमने आज देश का दो टुकड़ा न किया होता, तो हिन्दुस्तान का टुकड़ा-टुकड़ा हो जाने वाला था। पाकिस्तान उससे भी बुरा राजस्थान हो जाने वाला था। रियासतों का भी टुकड़ा करने का था कि अलग-अलग एक राजस्थान बनाओ, या छोटे-छोटे राजाओं को मिला कर अनेक राजस्थान बनाओ। तब ऐसी बहुत सी बातें चलती थीं। लेकिन अब हम उन सब चीजों में से निकल आए हैं। आज जो हिन्दुस्तान बाकी बच रहा है, वह भी बहुत बड़ा मुल्क है । इतने बड़े मुल्क को हम ताकतवान बनाएँ, तो जितने टुकड़े हमारे आसपास पड़े हैं, वे सब हमारी छाया में चले आएंगे। आप को कोई फिक्र करने की जरूरत नहीं है । लेकिन इस चीज में भाप को हमारा साथ देना पड़ेगा। सारा देश अगर आज मिल कर काम करेगा, देश की जनता अगर हमारा साथ न देगी, तो हमारी नौका तूफान में पड़ जाएगी। तो बंगाल के नौजवानों और कार्यकर्ताओं से मेरी अदब से प्रार्थना है कि जरा हम पर भरोसा रखो, जरा धीरज से और डिसिप्लिन (नियन्त्रण) से काम लो। दुनिया देख तो हुआ, .