पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/३२२

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चौपाटी, बम्बई २६३ ही कमर कसने से हमारा काम हो जाएगा। लेकिन हमारे में दो प्रकार के आदमी हैं । सरकार ने निश्चय किया कि अनाज का भाव इतना होना चाहिए और किसानों को चाहिए कि वे ठीक भाव पर सरकार को अनाज दें। तो दूसरा दल कहता है कि सरकार को अनाज का भाव मुकर्रर करने का क्या अधिकार है। कोई कहता है कि सरकार को अनाज मत दो। तो इन सब बातों से क्या होगा? आज हमें किसानों को ज्यादा अनाज पैदा करने में मदद देनी चाहिए और उन्हें समझाना चाहिए कि आज अगर मुल्क गिरेगा, तो तुम भी गिर जाओगे । और अगर सारा हिन्दुस्तान गिर गया, तो इसमें कोई नहीं बच सकता। इतनी कुरबानी के बाद हमारा मुल्क आजाद हुआ है तो हमें इस तरह की गैर जिम्मेवारी नहीं बरतनी चाहिए । देशभक्त ऐसा काम नहीं करते । अनाज की टोटी (कमी) को पूरा करने के लिए हमें करोड़ों रुपयों का अनाज बाहर से लाना पड़ता है । उसके लिए सरकार ने फैसला किया कि यह मुल्क अपने पैरों पर हो जाए, ऐमी कोशिश हमें करनी चाहिए । लेकिन अकेली सरकार यह काम कभी न कर सकेगी। जब तक लोगों का साथ न मिलेगा, तब तक यह काम पूरा न होगा । अब हमें कपड़ा चाहिए। तो कपड़े की उत्पत्ति में जितनी कमी है, उसे पूरा करने के लिए यह ज़रूरी है कि बार-बार हड़ताले न हों। यह जरूरी है कि काम बराबर चलता रहे, जितना कपड़ा निकलना चाहिए उतना हम निकाल सके। अधिक कपड़ा बनाने के लिए हमें रुई चाहिए । हमारे मुल्क में उतनी रुई पैदा नहीं होती इसलिए हमें बाहर से रुई मँगवाने का इन्तजाम करना चाहिए । साथ ही मजदूरों को मैं समझाना चाहता हूँ कि तुम्हारा जितना हक है, उसे लेने की पूरी कोशिश करो, हम भी उसके लिए कोशिश करेंगे। आज हमारा, हम सब का अपना राज है । हम आपस में क्यों झगड़ा करें? मिल-मालिकों को भी सम- झाना चाहिए कि भई तुमने पहले बहुत दिन नफा उठाया, भविष्य में भी मौका मिलेगा। लेकिन जब मुल्क को तकलीफ है, तो मुनाफे की बात छोड़कर हमें मुल्क को उठाने के काम में एक हो जाना चाहिए। मैं यह नहीं समझता कि सब लोग हमारी बात मानेंगे। लेकिन हमें एक ऐसा वायुमण्डल पैदा करना चाहिए, जिसमें अधिकतर लोग देश के हित को नज़र में रखकर काम करें। लेकिन अगर हम अपनी जवाबदारी छोड़कर दूसरों पर डालते रहें, और दूसरे के दोष हूंढते रहें, तो काम नहीं चल सकता। हमने निश्चय किया है कि ज्यादा-से-ज्यादा धन देश में पैदा करें। अनाज,