पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/३२७

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२६८ भारत की एकता का निर्माण रहें ? यह तो बुरी बात है । अगर वे ऐसी उम्मीद रखें, तो यह कितना गलत है । हाँ, मुहब्बत और मित्राचारी से यह काम हो सकता है । इसके लिए हमने बहुत कोशिश की। लेकिन जितना किया, वह सब निष्फल जाता है। तब मने निश्चय किया कि जितने जूट का हमने आर्डर दिया है, उसका डिवैल्यूएशन से पहले जितना दाम था, वह हम दे दें । बह दाम दे दिया, तब भी जूट उन्होंने रोक ली, तब हमने निश्चय किया कि इस तरह तो काम नहीं हो सकता। इस तरह एक झगड़े से दूसरा झगड़ा निकलता गया, तो वह अच्छा नहीं है। आज हमारे प्राइम मिनिस्टर पुकार-पुकार कर कहते हैं कि भाई, जो भी झगड़ा हो, उसका आपस में फैसला करो। आपस में फैसला न हो, तो पंचों के सुपुर्द करो। हम इस बात के लिए तैयार हैं। करोड़ों रुपयों का माल सिंधियों के पास से ठोंक-ठोंक के निकाल लिया और वह दबा कर बैठे हैं। उसका फैसला भी वे नहीं करना चाहते । जब तक ऐसी नियत रहेगी, तब तक कोई दोस्ती नहीं हो सकती । तो उधर हमारी मिलकियत और इधर उनकी मिलकियत के बारे में झगड़ा है, इसका फैसला भी आरबिट्रेशन (पंचायत) से होना चाहिए। ऐसा करना हो, तो हम तैयार हैं। इस प्रकार जितने हमारे प्रश्न है, वह इस तरह के हैं कि जिनका फैसला आपस में बैट कर हो, तो वह हो सकता है। लेकिन हम कहाँ तक आने का खर्चा अपना नहीं करेंगे। वहाँ तक आपको भी थोड़ी सी मुसीबत आए तो उठानी पड़ेगी। वह उठाने के लिए आपको तैयार रहना चाहिए । हम किसी के साथ लड़ाई तो करना नहीं चाहते । दुनिया में किसी भी मुल्क को दबाने की कोशिश हिन्दो- स्तान ने आज तक कभी नहीं की। कभी भविष्य में भी वह वैसा करने इरादा नहीं रखता। लेकिन अपने देश को अपने पैरों पर खड़ा रखने की हम कोशिश करें और आप उसमें रुकावट दें, तो वह नहीं चलेगा। तो मैंने कहा कि हमारे मुल्क में आज जितनी मुसीबतें हैं, उसका बड़ा हिस्सा इस कारण है कि हम दोनों में मुहब्बत नहीं है ! खाली मुहब्बत का अभाव ही नहीं है, साथ ही इतने और कारण भी जमा हुए हैं कि जिनकी वजह से आपस में घर्षण रहता है । इस घर्षण से यदि कभी झगड़ा हो तो उस दशा में अपनी रक्षा करने की पूरी तैयारी हमारे पास होनी चाहिए। उसके लिए हमें सब चीजों की तैयारी करनी पड़ेगी। कई लोग कहते हैं भई, गान्धी के प्रोग्राम पर चलो । गवर्नमेंट अपनी रक्षा के लिए जो सामग्री रखती है,