पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/३३३

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भारत की एकता का निर्माण रहा है । दूसरे कैपिटलिस्ट लोग हैं। ठीक है । लेकिन हम कहाँ आते हैं ? न हम साम्यवाद में हैं, न पूंजीवाद में । पूंजीवाद भला हो या बुरा, लेकिन आज दुनिया में सबसे धनवान, सुखी, मजबूत और प्रतिष्ठावान मुल्क अमेरिका है। तो जो पूंजीवाद वहाँ है, उतना दुनिया में और कहीं नहीं। फिर भी लोग वहाँ सुखी हैं। वहां के मजदूर को जो वेतन मिलता है, वह कहीं और के मजदूर को नहीं मिलता। हमारे जो धनवान लोग हैं, व उनके धनवानों के मुकाबले में तो कुछ भी नहीं । तो इस झगड़े में हमें नहीं पड़ना है । हमारा काम तो यह है कि देश के सब लोगों को साथ मिलाकर एक ऐसा रास्ता निकालें, जिससे चार-पांच साल में देश में पूरी ताकत आ जाए । इस काम में हमें सब का सह्योग लेना है । उसके लिए हम अगर काम नहीं करेंगे, तो आज तो हम जैसा-तैसा काम चलाते रहे हैं, लेकिन भविष्य में धोखा खाएँगे। इसलिए मेरी.आप.लोगों से एक ही प्रार्थना है कि जो थोड़ा दुख आया है, उसे आप सहन करें। आपके दुख को हम जानते हैं। हम इसकी कदर करते हैं कि आप लोगों ने दुख सहन किया है। लेकिन आज भी आप कायर न बनो। कायरता आदमी को बेजान बना देती है । हम लोग तो सैकड़ों सालों की गुलामी को बरदाश्त किए रहे। अब आजाद हुए हैं, तो थोड़े समय के लिए इतना थोड़ा सा कष्ट और बरदाश्त कर लें तो सब ठीक हो जाएगा। लेकिन इस कार्य में हमें आपका साथ चाहिए। अगर आप सब साथ देंगे, तो मेरा विश्वास है कि हम इस मुल्क को ऐसी जगह पर पहुँचा सकते हैं, जब कि दुनिया में हर जगह उसकी फिर से कदर हो । तभी वह दुनिया में शान्ति फैलाने के काम में योग्य हिस्सा ले सकेगा और गान्धी जी ने हम से जो उम्मीद रखी थी, उसी रास्ते पर जा सकेगा। लेकिन अगर पहले हम अपना घर ठीक नहीं करेंगे, तो हम न तो गान्धी जी के रास्ते पर चल सकेंगे और न किसी और रास्ते पर। तब हमारा मुल्क बेजान बन जाएगा। जब तक बाहर से हम पर कोई आक्रमण नहीं करता, तब तक तो ठीक है । लेकिन यदि कोई आक्रमण करनेवाला आया, तो फिर से हमें गुलाम नहीं बनना है । इसलिए आज की जो प्रजा है, उसके ऊपर बहुत बड़ी जिम्मेवारी है । आज की प्रजा का कर्तव्य है कि भविष्य की प्रजा के हित के लिए आज दुखों को भी बरदाश्त करे। आज हमें भविष्य की प्रजा के सुखों की नींव डालनी है । उसके लिए हमें तैयार रहना चाहिए।