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३०५ चौपाटी, बम्बई अब जितनी बातें मैंने आपके सामने कहीं है, उन पर आप विचार करें। अगर वे समझ में आ जाएँ, दिल में उतर जाएँ, तो उन पर पूरा अमल करें। मैंने तो जितना हो सका, अपनी जिन्दगी में कर लिया। मगर आज भी बहुत काम करने को बाकी है। मेरे जीवन के जो थोड़े दिन रह गए हैं, उनमें भी जहाँ तक मुझ से बन पड़ेगा में काम करूँगा । लेकिन अब ज्यादातर तो बोझ आप लोगों के ऊपर ही पड़ेगा। तो मुझे उम्मीद है कि मैंने जो बातें कही हैं, उन्हें दिल में रक्खेंगे और उन पर सोचेंगे और अमल करेंगे। भा०२०