पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/३४५

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भारत की एकता का निर्माण जो बंगाल का दर्द है, उसे मिटाने के लिये हमें काम करना चाहिए । मगर उस कार्रवाई को छोड़कर हम मिथ्या कार्रवाई में फंसे हैं। उससे हमारा असली काम रुक जाता है । मैं जानता हूँ कि बंगाल के नौजवान बहकावे में फैसे हुए हैं। एक-एक कालेज में दस-दस हजार, पाँच-पाँच हजार, सात-सात हजार लड़के पढ़ते हैं। वे पड़ते हैं कि नहीं पढ़ते हैं, वह भी मैं पूरी तरह नहीं जानता हूँ। क्योंकि वहां तो बैठने की भी जगह नहीं है। किसी-किसी कालेज में तो तीन-तीन शिफ्ट ( बारी) लगते हैं। हमने फैक्टरी में तो शिफ्ट सुने थे, लेकिन कालेजों में शिफ्ट की बात कभी नहीं सुनी थी। इधर आकर देखा कि यहाँ तो कालेजों में भी तीन शिफ्टों से काम चलता है । वहाँ स्टूडेंट बेचारे क्या पढ़ते हैं और प्रोफेसर भी उन्हें क्या पढ़ाते हैं, यह तो में नहीं जानता। यह जो पचास-साठ हज़ार ग्रेजुएट हर साल कालेजों से पढ़-पढ़कर निकलते हैं, उन्होंने खाली उपाधि या तूफान करना सीखा? या वे खाली कुछ ऐसा लिटरेचर पढ़ते हैं, जिसके 'वाल पोस्टर्स' ( दीवारों पर नोटिस ) आप देखते हैं ! वे ऐसे पोस्टर होते हैं, जिनको पढ़ने से बदहजमी होती है, मैदे की भी बीमारी होती है, दिल की भी बीमारी हो सकती है, लेकिन कोई और फायदा नहीं हो सकता । इसका उपाय हमें करना चाहिए । यह भी मैं जानता हूँ कि कलकत्ता हिन्दुस्तान का एक केन्द्र है। हिन्दो- स्तान के उद्योग का यह सबसे बड़ा केन्द्र है। पहले तो हिन्दुस्तान की राज- घानी ही इधर थी। लेकिन आज भी उद्योग की राजधानी यही है । इधर से ही धन पैदा होता है। देहातों से जो धन पैदा होता है, या किसानों से जो धन पैदा होता है, वह एक प्रकार का है । कारखानों से जो धन पैदा होता है, वह दूसरे प्रकार का है। आजकल हमें दोनों की जरूरत है। इनमें से एक को भी हम छोड़ नहीं सकते। एक के भरोसे रहकर हम दूसरे को नहीं बढ़ा सकते । दोनों को हमें साथ-साथ चलाना होगा। यह उद्योग का क्षेत्र है, और इस उद्योग में बंगालियों का हिस्सा कम-से-कम है। बंगाल के नौजवान उसमें सब से कम है। यहाँ बड़ी-बड़ी कम्पनियाँ हैं, मगर उनमें बंगाली नहीं हैं। वे क्यों नहीं हैं ? इसकी क्या वजह है ? ऐसा क्यों हो गया ? तो में दोनों को समझाना चाहता हूँ। कारखानों और कम्पनियों के मालिकों से मैं कहना चाहता हूँ कि उन्हें बंगाली नौजवानों के प्रति अपना फर्ज़ अदा करना पड़ेगा । उन्हें उनका दिल समझना पड़ेगा। उनके अलग रहने से किसी को