पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/३४८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

1 मुझे बंगाल का दर्द है अपना कांस्टीटयूशन बना दिया । आपको समझना चाहिए कि हिन्दुस्तान के दो टुकड़े होते हुए भी आज जितना हिन्दोस्तान एकत्र हुआ है, उतना बड़ा हिन्दुस्तान पहले कभी नहीं था। आप हमारे पिछले इतिहासों को देख लीजिए। सदियों में जो कभी नहीं हुआ था, वह एक ही रंग में आज हिन्दुस्तान पर हो गया है। यही बहुत बड़ी कृति है । अमेरिका धनवान हुआ, तो उसके लिए कितने सालों तक उसको मेहनत करनी पड़ी। यह इतिहास आपको देखना चाहिए । इसमें बहुत साल लगे, बहुत मेहनत करनी पड़ी और तब जाकर वह हृष्टपुष्ट हुआ। हमारी आजादी तो अभी दो साल की ही है । अभी से हम उसमें से हिस्से बाँटना चाहते है कि नहीं, जितना है उसमें से हमारा शेयर एकदम हमको दो। इस बँटवारे से सव गरीब हो जाएंगे, कोई भी धनवान नहीं हो सकता। अब देश में धन- वान थोड़े हैं। मैं कबूल करता हूँ कि हिन्दुस्तान में थोड़ों के पास ज्यादा धन है। लेकिन जो कुछ है, वह भी कुछ नहीं है । आप अमेरिका में जाएँ और देखें । और देशों में भी देखें, तो आपको पता चलेगा कि हमारे धनवान कुछ भी नहीं है। लेकिन उनके धन का उपयोग ठीक करना हो, तो इस ढंग से काम करने में उन्हें भी लाभ होगा और हमें भी लाभ होगा। आज हिन्दुस्तान को उठाना हो, तो वह इसी तरह हो सकता है कि धनवान अपना लोभ छोड़ दें और मजदूर अपना काम बफादारी से करें । आज जिस प्रकार मजदूरों में इस बात का प्रचार किया जाता है कि बार-बार स्ट्राइक करो, तूफान करो, तो इस नीति से हमको और सभी को भारी नुकसान होने वाला है। उसकी भी अगर कभी जरूरत होगी, तो उसका समय आएगा। लेकिन में नहीं मानता कि हमको अब कभी भी इसकी जरूरत पड़ेगी। हिन्दुस्तान में मारी संस्कृति ऐसी है कि हम आपस में बैठकर सब चीजों का फैसला कर सकते हैं। कई लोग कहते हैं कि पूंजीपति ब्लैक मार्केट करते हैं। जब लड़ाई चलती थी, तो ब्लैक मार्केट का धन बहुतों ने लिया था। उस समय पर जिसने ज्यादा पैसा बनाया, वे सव आज धनी हैं। पर उस समय परदेशी हुकूमत थी। उस समय पर हमने कुछ नहीं किया, कोई बोला भी नहीं। लोग हम से कहते भी थे, और बे लोग मानते भी थे कि इस परदेशी हुकूमत को जितना कम पैसा देना पड़े, ठीक है । इन्कम-टैक्स ( आयकर ) न दें, तो भी ठीक है । पर अब