पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/३४९

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भारत की एकता का निर्माण उन बातों से न उनका फायदा होता है, न हमारा फायदा होता है । हमें तो अब अपना सारा ढंग बदलना है। कई लोग कहते हैं कि हमारे सारे उद्योग को नैशनलाइज़ ( राष्ट्रीयकरण ) करो। सरकार चाहे तो किसी भी उद्योग को अपने हाथ में ले सकती है, उसमें आज कोई रुकावट नहीं है । लेकिन आज हम में यह ताकत नहीं है । क्योंकि हमारे पास इतने साधन नहीं हैं, इतने अनुभवी आदमी भी नहीं है। इस काम के लिए हमें जितने प्रवीण और स्वच्छ आदमी चाहिएँ, आज हमारे पास नहीं है । आज हमने विजिनेसमैन ( व्यापारी ) के पास से बिजनेस ले लिया, क्योंकि बिजनेस ( व्यापार ) वाले गड़बड़ करते थे। कुछ काला बाजार करते थे, कुछ पैसे ज्यादा लेते थे। तभी हमने कण्ट्रोल किया। हमारी सरकार यह समझती थी कि हम कण्ट्रोल चलाएँ । लोग भी कहते हैं कि कण्ट्रोल करो। हम कण्ट्रोल तो करते हैं, लेकिन बिजनेसमैनों की जगह पर जिन्हें रखते हैं, वे अच्छा काम करते है, ऐसा कोई नहीं कहता। उनके बारे में भी लोग छोटे डालते हैं कि ये लोग घूसखोरी करते हैं, पैसा खाते हैं, और इन बातों से सर- कार बदनाम होती है। तो उससे क्या फायदा ? उसमें तो हम सब बदनाम होते जाते हैं। तो गांधी जी ने कहा कि कण्ट्रोल हटा दो। तो हमने उसका भी एक एक्सपेरिमेंट ( परीक्षण ) कर लिया । अब उसमें हम ऐसी मुसीबत में फंस गए कि लोग बोले कि फिर से कण्ट्रोल बैठाओ। तो हमने फिर से कण्ट्रोल बैठाया। अब कई लोग कहते हैं कि भाई कि इस गवर्नमेंट को तो अपने माइन्ड ( दिल) की भी खबर नहीं। यह कहना तो शायद ठीक है। लेकिन हमारा इतना बड़ा मुल्क है । जिसके सारे ढांचे को चलाने वाले परदेशी लोग, इसे अपनी धाक से चलाते थे। सारा काम अंग्रेजों के रोब से, परदेशी की धाक से चलता था। तब पचपन-साठ की फीसदी अंग्नेज ऊँची सविस में थे। उन सब को हमने निकाल दिया । आप देखें अब पुलिस में किसी अंग्रेज़ का चेहरा आपको दिखाई पड़ता है ? हमारे जो पुराने लाट साहब इधर थे, उसके सेटच्यू ( मूत्ति) आज भी खड़े हैं। जमाना तो आज बदल गया। रेवोल्यूशन किसको कहते हैं ? रेवोल्यूशन तो हो गया । लेकिन अब तो हमें रचनात्मक- कार्य करता है। में आप से कहना चाहता हूँ कि आज हमको, आपको, मजदूरों को, मिल कर सव को काम करना है । सब पुरुषों और सब स्त्रियों को साथ मिलकर काम 4.