पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/३५१

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३२० भारत की एकता का निर्माण लोग हैं, जिनको ढाई रुपया रोज खाने के लिए ही मिलता है ? वे कैसे माँगते हैं ? और लोगों को ढाई रुपये मिलते हैं, तो उनके बच्चे हैं, फैमिली (परिवार) है, उनकी स्त्री है, माता है । ऐसा होता है, तो फिर लोग भला बाहर क्यों रहें? वे जेल में ही क्यों न जा बैठे ? इतना मिलने पर भी फिर वे फाका क्यों करते हैं ? क्योंकि वे लोग तो चार दफा खाते हैं और बाहर प्रोपेगेंडा चलता है कि फाका कर रहे हैं। इस समय भी, जब ये लोग फाका करते हैं, वे क्या चाहते हैं ? भला बता- इए तो इस प्रकार के लोग जब पुलिस को शिकायत करते हैं, तब मुझे दुख होता है। क्या आप लोगों का यह धर्म नहीं है कि हमारी पुलिस के लिए कुछ सहानुभूति बता कर उनकी मदद करें? स्वतन्त्र मुल्क में पुलिस की जितनी इज्जत है, वैसी इज्जत हम आज उन्हें नहीं देंगे, तो हमारी स्वतन्त्रता बेमाइना होगी। आज हमारा आजाद मुल्क है, तो हमारा फर्ज हो गया है कि जो हमारे रक्षक हों, उनका हम साथ दे। उनको कम-से कम काम करना पड़े, ऐसा काम करना हमारा फर्ज है । यह सब तो उनका काम नहीं है । आज मैं देखता हूँ और आप भी अखबारों में पढ़ते होंगे कि हर रोज़ किसी न किसी जगह पर पुलिस ने मारा, लेकिन कोई मरा नहीं। पहले कई रोज पुलिस ने गोली चलाई, तो आप लोग एकदम गुस्से हो गए । कहने लगे, उसका ट्रायल करो। उस समय तो सब ने शोर मचाया। अब जब पुलिस मार खाती है, तो आप बोलते क्यों नहीं ? क्यों आप खामोश बैठे रहते हैं ? आपको राज चलाना है या नहीं? चलाना हो तो हम सबको समझ लेना चाहिए कि हर एक व्यक्ति का धर्म है, हर एक हिन्दुस्तानी का फर्ज है कि अपनी ड्यूटी का, अपने धर्म का पालन करे । मैं तो आपसे कहना चाहता हूँ कि तूफान करने वाले थोड़े ही लोग हैं। ये थोड़े से आदमी लोगों को तंग करते हैं, देश की हवा बिगाड़ते हैं। उनको समझाओ। स्वयंसेवक दल बनाओ और उनको पकड़ो। ये कहते हैं कि ये लोग अण्डर ग्राउण्ड (छिपे) रहते हैं, भीतर में, भूतल में रहते हैं। भूतल कहाँ है ? यही, हमारा ही तो भूतल है । अगर ऐसा आदमी हमारा भाई हो, हमारा लड़का हो, हमारा रिश्तेदार हो, तो उसको समझाना चाहिए कि वह गलत रास्ते पर है। उसे कहना चाहिए कि तुम ऐसा गन्दा काम छोड़ दो, नहीं तो मैं तुमको पुलिस में देता हूँ। इस तरह से जब तक हम सक्रिय सहा- यता नहीं देंगे, तब तक हमारा काम नहीं चलेगा, और देश का खर्च भी बढ़ता 1 ।