पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/३५५

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भारत की एकता का निर्माण है, जुल्म करती है। वे सब बातें अब गईं। आज तो हमारी पुलिस अपना तन तोड़ कर मेहनत से काम करती है। उनका साथ देना, उन्हें सहानुभूति देना हमारा आपका कर्तव्य है। तभी हमारा काम चलेगा। नई पुलिस में हम बंगालियों को ही रखेंगे और किसे रखेंगे ? वे भी तो हमारे अपने नौजवान है। उन्हें बुरा कहते रहना हमारे लिए लज्जास्पद है। अगर सब बुरे हैं, तो अच्छा कौन है ? अब कोई बाहर का इधर नहीं है। सभी हमारे है। तो हमें सारी चीज़ बदलनी चाहिए। यह तो मैंने बता ही दिया कि अखबारवालों को क्या करना है। लेकिन जिनके पास अखबार नहीं है, जो प्रोफेशन के लोग हैं, जो समझदार लोग हैं, उनके लिए खाली अखबार पढ़कर बैठ जाने से हमारा काम नहीं चलने का । जो बात अखबार में लिखी गई है, अगर वह सही नहीं है, तो उनको ठीक करना भी हमारा ही काम है। हमें अपनी आवाज़ उठानी चाहिए कि यह चीच बहुत खराब है । इस चीज को चलने नहीं देना चाहिए। इस तरह हमें अपना कर्तव्य निभाना चाहिए। तब तो काम चल सकता है। हर मामले में जहां गड़बड़ हो, हमें स्वयंसेवक दल बनाकर उस गड़बड़ को खत्म करना है। जिस से बंगाल की इज्जत और कलकत्ते की इज्जत बढ़ जाए, और कलकत्ता फिर से एक दफा सारे हिन्दुस्तान की आबोहवा वदले और सारा संसार समझ जाए कि कलकत्ता के नागरिक समझदार हैं और स्याने हैं। वैसे ही काम हमें करने चाहिएँ । मैं इतना ही कह कर प्रार्थना करना चाहता हूँ कि परमात्मा में इसमें सफल होने की शक्ति दें । जयहिन्द !