पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/३५८

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दिल्ली प्रदर्शनी का उद्घाटन ३२७ प्रदर्शन हुआ । यह अच्छा हुआ। लोगों को मालूम पड़ गया और लोग समझ गए कि यह काम तो अच्छा हुआ है। लेकिन इतने ही से हमारा काम पूरा नहीं होता । यह काम तो वैसा ही है, जैसे एक किसान अपनी खेती के लिए जमीन तैयार करता है। यदि हमें सच्चा स्वराज्य चाहिए, जैसा स्वराज्य गान्धी जी चाहते थे, तो उस प्रकार के स्वराज्य की रचना के लिए अभी हमें बहुत काम करना है । हिन्दुस्तान में हमारी उन्नति के काम में जो लोग रुकावट डालनेवाले थे, वे लोग तो चले गए। लेकिन हमारे मुल्क में करोड़ों लोग आज भी दुखी हैं, और हमें उनका दुख हटाना है। सब को पेट भर रोटी खाने को मिले, पहनने के लिए कपड़ा मिले और रहने के लिए अच्छी जगह मिले, कम-से-कम इन तीनों चीजों की स्वराज्य में किसी प्रकार की कमी नहीं रहनी चाहिए। लोग हम से अपेक्षा करते है कि हमको स्वराज्य तो मिला है, लेकिन उससे हमें फायदा क्या हुआ? यह सवाल तो ठीक है। रोटी, कपड़ा और मकान की समस्या हल करने के लिए पहला काम यह था कि हम हुकूमत अपनी बना लें, सो हुकूमत तो हमारी बन गई । अब हमारे काम में कोई रुकावट नहीं डालेगा। लेकिन हमें पेट भर खाना चाहिए, तो वह खाना कहाँ से आएगा? हमारे मुल्क में तो इतना खाना नहीं है । जितना अनाज हमें अपने लिए चाहिए, उतना यहाँ पैदा नहीं होता है। आस-पास के जिन मुल्कों से हमारे लोग जो अनाज ले आते थे, उसमें भी कमी आगई। जैसे ब्रह्मदेश में से काफी चावल इधर आता था, जिसके ऊपर मद्रास और बंगाल का निर्वाह होता था। इसी तरह और मुल्कों से भी अनाज आता था। इधर हमारे मुल्क का एक हिस्सा, जिसमें बहुत अनाज पैदा होता था, हम से अलग हो गया। इस सब से अनाज की बहुत कमी हो गई है। सब जगह पर अनाज पहुँचाने के लिए और हिन्दुस्तान में कोई आदमी भूख से नहीं मरे, इसके लिए हमें बाहर से अनाज मँगाना पड़ता है। उसके लिए यह बन्दोबस्त करना पड़ता है कि सब जगहों पर कम-से-कम ज़िन्दा रहने के लिए जितने अनाज की ज़रूरत है, उतना तो अवश्य पहुंचाया जाए। तो उसके लिए अनेक प्रकार के कंट्रोल रक्ख गए। उसमें भी बहुत-सी खराबियाँ होती है। इतने बड़े मुल्क में यह राशनिंग और कंट्रोल का काम चलाना आसान नहीं है और उसमें सरकार की बदनामी भी बहुत होती है। कई लोग घूसखोरी करते हैं, कई लोग उसका दुरुपयोग करते हैं, यह सब होता है । लेकिन ये सब चीजें हमी लोग करते