पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/३६३

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भारत एकता का निर्माण यह हमारा काम है। इसीलिए जब प्रदर्शनी खोलने की बात मेरे सामने आई, तो मैंने उसे कबूल कर लिया। हमने प्रतिज्ञा की है कि हमें स्वराज को ठीक करना है, उसे मजबूत बनाना है । तो इसके लिए हमारा पहला काम यह है कि बड़े बड़े शहरों में और देहातों में हर जगह हम ऐसे प्रदर्शनी करें। जो चीजें हमारे मुल्क में बनती हैं, उनकी जब हमें जरूरत हो, तो हम उन्हीं को पसन्द करें, चाहे कुछ ज्यादा दाम ही क्यों न देने पड़ें। कुछ सस्ते दाम होने पर भी बाहर से आए माल को हम पसन्द न करें। कहें कि भई, हमें इसकी ज़रूरत नहीं है। क्योंकि एक साल, दो साल, तीन साल या चार-पाँच साल की तकलीफ हम उठा लें, तो उससे आगे चल कर हमारा मुल्क मजबूत बन जाएगा और तब हमें किसी तरह का डर नहीं रहेगा । तब हमारा काम अच्छी तरह से चलेगा। आज हमारे मुल्क में एक प्रकार की शान्ति हो गई है और इतना बड़ा मुल्क एक हो गया है, जितना पहले कभी नहीं था। तो यह बहुत बड़ी बात हो गई है । हिन्दुस्तान के इतिहास में हिन्दुस्तान इतना बड़ा, एकत्र और एक केन्द्रीय सरकार की हुकूमत के नीचे कभी नहीं था, जितना वह अब बन गया है। इसको संभालना हमारा काम है। इसको मजबूत बनाने के लिए जितनी कोशिश करने की ज़रूरत है, वह तो सब को करनी ही चाहिए। और यह चीज़ हम और आप मिलकर ही कर सकते हैं। खाली हम सरकार के ऊपर बैठकर वैसा नहीं कर सकते । सरकार के पास इतने साधन नहीं हैं, इतनी सामग्री नहीं है। हमारे मुल्क को जख्म लगा है, उसको उठाना हर आदमी का कर्तव्य है । अब दो-व चार साल तक हमें यही कोशिश करनी चाहिए कि इसे अधिक- से-अधिक मजबूत बनाएँ, और हम सब लोग इस काम में अपनी हुकूमत का साथ दें। हमें झगड़ों में नहीं पड़ना चाहिए और न वाद-विवाद में फंसना चाहिए। इस प्रकार के जो रचनात्मक कार्य है, जैसे यह प्रदर्शनी है, इनसे जो-जो सीख हमें मिलें, जिस-जिस रास्ते पर जाने का सुझाव मिले, वह सब चीज हम सीख लें, यह मेरी प्रार्थना है। मुझे उम्मीद है कि हम फिर यही निश्चय करेंगे हम सब तरीकों से अपने मुल्क को मजबूत बनाएँगे । क्योंकि हमारा मुल्क आज नाजुक समय पर आ गया है। क्योंकि हमारा मुल्क अकेला ही ऐसा नहीं है। दुनिया में चारों तरफ़ आग फैल रही है । हमारे मुल्क के आसपास, जहाँ से आज तक हम अनाज लाते थे, व्यापार करते थे, वे सब मुल्क आज दुख में