पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/३६७

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भारत की एकता का निर्माण हो, उनमें अन्तर हो, तो बहुत मुश्किल हो जाती है । इस हालत में जब आप के यहां लोक शासन का पूरा कारोबार चलेगा, तब आपको बहुत-सी दिक्कतें आने- वाली हैं। एक बात यह भी है कि आपके यहाँ हिन्दुस्तान की तरह पुराना अनुभव ज़रा भी नहीं है । हिन्दोस्तान के सूबों में कुछ पुराना अनुभव तो था, कुछ लोक-संस्थाएँ, लोकल बोर्ड, म्यूनिसिपैलिटियाँ वहाँ बहुत सालों से बन गई थीं । ये चीजें इधर नहीं हैं। उसके साथ ही आपके यहां कुछ दिनों तक कौम कौम का जो प्रभाव पड़ता रहा, उसको भी हटाना है । अब आप सबको मिल-जुल कर काम करना है। में आज आपके पास तीसरी दफे आया हूँ। पहले पुलिस ऐक्शन के बाद आया था। लेकिन आज मैं बहुत दिनों के बाद आया हूँ। इस बीच में हमने कुछ तबदीली भी की है। एक तो हैदराबाद स्टेट हिन्दोस्तान में मिल गई है। राजप्रमुख ने उसके लिए अपना दस्तखत दे दिया है। उसके साथ-साथ आपके १६, १७ प्रतिनिधि हिन्दोस्तान की पार्लियामेंट में शरीक हो गए हैं। हमारे स्टेट डिपार्टमेंट ने हैदराबाद स्टेट रिकमंडेशन ( सिफारिश ) से उन्हें चुना है । इस तरह से हिन्दुस्तान की बड़ी पार्लियामेंट में आपका प्रतिनिधित्व पूर्ण हो गया और हैदराबाद स्टेट हिन्दोस्तान में मिल गई । क्योंकि यह तो खुली बात थी। इसमें कोई फर्क पड़नेवाला नहीं और दुनिया की सब ताकतें भी मिल जायें तो भी उसमें कोई फर्क नहीं पड़ सकता है । जो चीज खुली हो, उसको ढाँकने से कोई फायदा नहीं है । सो इतना काम तो हो गया । उसके कुछ समय बाद कांग्रेस के प्रतिनिधियों को इधर के शासन में, राज्य के कार-बार में शरीक किया गया। यह एक शुरुआत ही हुआ, क्योंकि हमारी यह ख्वाहिश नहीं है कि हम सब बोझ उठाते रहें और आप हमारे पीछे ही चलते रहें। जैसा हिन्दुस्तान चलता है, उसके साथ साथ आपको भी चलना है। हमारी यह ख्वाहिश है और जितना जल्दी आप तैयार हो जाएं, उतना ही अच्छा है । जब आपकी तरफ से इस तरह की कोई मांग आती है कि हमारा शासन पूरे तौर से हमारे खुद का होना चाहिए, तो उसके लिए हमें कहने की जरूरत नहीं है। क्योंकि उसी के लिए तो हमने यह सब कुछ किया है। हम कोई परदेशी लोग थोड़े ही है। हम कोई सत्ता के लोभी भी नहीं कि हमें यहाँ की सत्ता चाहिए। यह तो हमारे ऊपर एक बोझ है । जितनी जल्दी आप अपना बोझ उठा लें उतना ही अच्छा है । 1 1 ।