पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/३७१

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1 ३३८ भारत की एकता का निर्माण चान सकता हूँ कि वह कैसा है। वह कितना भी ऊपर से बात करे, लेकिन मैं जान जाता हूँ कि उसके भीतर क्या है । तो जब मुझे इतना मालूम हो जाएगा कि अब यहाँ हैदराबाद स्टेट की गाड़ी को इन लोगों के हाथ में देने में कोई खतरा नहीं है, तब मैं एक मिनट की भी देर नहीं करूंगा। क्योंकि मेरी ख्वाहिश यही है कि आप अपना बोझ अपने कन्धों पर उठा लें। तो इस बारे में जितनी जिम्मेवारी मेरे पर है, उससे ज्यादा जिम्मेवारी आपके ऊपर है। अब दूसरा रुख भी देख लीजिए । हिन्दुस्तान में नया चुनाव होनेवाला है। सारे हिन्दुस्तान के हर यूनिट में नया चुनाव होगा। उस समय आपके यहाँ भी नया चुनाव होगा और उसमें कोई ज्यादा समय लगने वाला नहीं है। इस बीच में आपकी म्युनिसिपैलिटी का भी चुनाव हो जाएगा। तो पहले म्युनि- सिपैलिटी का चुनाव कर लीजिए और देख लीजिए क्या होता है । चुनाव का भी कुछ अनुभव आपको हो जाएगा और जब चुने हुए प्रतिनिधियों के पास म्युनिसिपैलिटी का कारोबार आएगा, तब उससे मालूम हो जाएगा कि आगे क्या हाल होनेवाला है। अब अगला सवाल यह है कि यहाँ कौमों के आपसी सम्बन्ध कैसे है ? मैं खुश हूँ कि आज हैदराबाद में हिन्दू-मुसलमानों के बीच में किसी प्रकार का बखेड़ा नहीं होता। यह भी मैं कहूँगा कि हिन्दू और मुसलमान के बीच जब दिल का असली मेल हो जाएगा, तब वह भी मुझको मालूम पड़ जाएगा । कई लोग कहते हैं कि आप' आए हैं, तो इन लोगों को छोड़ दो, उन लोगों को छोड़ दो; जनरल एमनिस्टी (आप रिहाई) दे दो। वह भी कोई खाली मेरे हाथ की बात नहीं है । उसमें भी तो आपका अपना हाथ ज्यादा । जो हैं, उनके बारे में किसकी कितनी जिम्मेवारी है, इस बारे में आपको बताने की कोई जरूरत नहीं है। हम सब कुछ जानते हैं कि कौन कितना जिम्मेवार है। लेकिन हम पिछली बातें याद नहीं करते हैं । हम तो भविष्य का ख्याल करते हैं कि भविष्य में हैदराबाद की गाड़ी कैसे चलेगी । उसमें गड़बड़ न हो और फिर कोई ऐसा धक्का न लगे, जिससे आपको नुकसान हो। हमें किसी से द्वेष नहीं रखना चाहिए और पिछली बातों को माफ करने के लिए भी तैयार हो जाना चाहिए । परन्तु यदि कोई मॉर्टर ( शहीद) बनना चाहे, और खुदा के दफ्तर में इस प्रकार का नाम लिखाना चाहे कि वही कौम का खैरख्वाह है, बातें हुई 1