पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/३७३

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३४० भारत की एकता का निर्माण हिन्दुस्तान में ऐसे हिन्दू भी थे, जिन्होंने खुशी मनाई थी । जब तक वह शैतानियत हम से नहीं निकल जाती, तब तक कौम-कौम का एका भी नहीं हो सकता । तो मैं बड़ी अदब से कहूँगा और मुसलमानों से उनके खुद के इन्ट्रेस्ट के लिए, उनके खुद के हित के लिए, कहूँगा कि वे अपने को पूरी तरह हिन्दोस्तानी समझें। क्योंकि हमारा तात्पर्य यह है कि हिन्दू और मुसलमानों को हर तरह से एक ही प्रकार के हक और एक प्रकार की जिम्मेवारी होनी चाहिए । बराबर हक और वरावर अबसर उन्हें मिलना चाहिए और उसमें कोई फर्क नहीं होना चाहिए। लेकिन इसके लिए हिन्दू और मुसलमान दोनों को हिन्दुस्तानी बनना पड़ेगा। उसके लिए जितना जल्दी तैयार हो, उतना अच्छा. । हो सकता है कि कई आदमियों के दिल में यह हो कि पाकिस्तान उनके लिए. ठोक स्थान है । उनसे मेरी नम्र प्रार्थना है कि हमारी तरफ से कोई रुकावट नहीं होगी। जितनी जल्दी चले जाओ, उतना ही अच्छा है । इधर के मुसल- मानों के लिए भी यही अच्छा है। हम नहीं चाहते थे कि हिन्दोस्तान का टुकड़ा हो। लेकिन मजबूर होकर हमें टुकड़ा करना पड़ा। उस समय हमने नहीं सोचा था कि वहाँ से सब हिन्दुओं को भगा दिया जायगा । जब पाकिस्तान बना, तब भी हमारा यह ख्याल था कि हम आपस में बैठ कर समझौता कर लें। पाकिस्तान आजादी से अपनी खुशहाली बनाए और जैसा अपना शासन होता है वैसा बनाएँ, चाहे अपनी जैसी प्रकृति और गति बनाए। हम भी चाहते थे कि एक दूसरे के साथ मोहब्बत और प्रेम बना रहे । हिन्दुस्तान के मुसल- मान और पाकिस्तान के मुसलमान आपस में मिल-जुलकर रहें, उनमें विवाह- शादी हो । और यह तो अब भी होगा। अभी इतना टुकड़ा होते हुए भी यह चीज़ टूटनेवाली नहीं है । तोड़नेवाले कितनी भी कोशिश करें, खुद टूट जाएंगे, लेकिन यह चीज नहीं टूटनेवाली। क्योंकि हिन्दुस्तान की आबोहवा ही ऐसी है। फिर भी अगर उनको अलग होना हो, तो हो सकते हैं। लेकिन इधर के कोई मुसलमान अगर यह ख्वाहिश रखते हैं कि बाहर के लोग उनका रक्षण करेंगे, तो यह गलत तरीका है । यह होनेवाला नहीं है । मैं आज कहता हूँ कि हमें हिन्दू और मुसलमान दोनों को आपस में मेल कराना चाहिए। पिछली चीजें हमें याद नहीं करनी चाहिएँ, उन्हें भूल जाना चाहिए। क्योंकि लाखों भाई तो देहात में पड़े हैं। उन्होंने क्या कसूर किया ? उनको तो ख्याल भी नहीं था कि पाकिस्तान क्या चीज़ है, किस तरह से बनेगा, क्या होगा।