पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/३८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

लखनऊ हैं। अब मेरा नम्बर वहाँ रख दिया। क्यों रक्खा? क्योंकि मैं साफ बात कहता हूँ। मैं छिपाता नहीं हूँ। उधर अगर कोई बुरी चीज़ करेंगा तो उसका बुरा असर इधर भी पड़ेगा। मैं कहता हूँ कि भाई यदि आप लोग हमको चैन से काम करने देंगे, तो इधर मुसलमानों को तकलीफ नहीं होगी। यों भी इधर पूरी शान्ति रखने की कोशिश हम करेंगे, क्योंकि कोशिश करना हमारा फर्ज है, धर्म है । अगर हम अपने फर्ज को पूरा न करें तो हम ईश्वर के गुनहगार बनते हैं। सो कोशिश तो हम करेंगे। लेकिन अपनी कोशिश में हम पूरे कामयाब नहीं होंगे, जब तक आपका कर्म ठीक नहीं होगा। तो आपको अब किस ढंग से चलना चाहिए ? क्योंकि आप तो कहते थे कि अगर आप को पाकिस्तान मिल जाए, तो आप को पूरा प्रोटेक्शन ( सुरक्षा ) मिल जाएगा। अब जिन लोग वाले मुसलमानों ने इधर से यह काम शुरू किया था, यही लख- नऊ सारे हिन्दुस्तान के मुसलमानों के कल्चर का केन्द्र था, उन्हीं लीडरों से मैं पूछता हूँ कि अब क्या प्रोटेक्शन देते हैं ? इधर हिन्दुस्तान में जो मुसलमान है, उनकी हालत देखें, आप उनका दिल देखें, उनका चेहरा देखें। हमको तो दर्द होता है । आपको नहीं होता है, उससे मुझे ताज्जुब होता है कि आपको क्या हुआ है । आप तो वहां जाकर बैठ गए। लेकिन इन लोगों का कुछ सोचा कि उनकी क्या हालत है ? उन्हें आपने हम पर छोड़ दिया । ठीक है, छोड़ दिया। हम तो कोशिश करेंगे। लेकिन वहां बैठ कर भी आप हम को कुछ चैन लेने देंगे, कि वहाँ से भी तकलीफ करते ही रहेंगे ? यह तो ठीक है कि खूब मार-पीट हुई। परन्तु चाहिए तो यह कि जो कुछ हो गया है, उसे हम भूल जाएँ। उन्होंने भी बहुत बुरी तरह काम किया और हमने भी बहुत बुरा काम किया। दुनिया में हमारी बदनामी हुई, जगत के सामने हमें सिर झुकाना पड़ा। जब हिन्दुस्तान आजाद हुआ था, तब दुनिया में हमारी इज्जत बहुत बढ़ गई थी। लेकिन आज हम बहुत गिर गए हैं। तो यह जो नुकसान हुआ, उसे तो हमें पी जाना चाहिए। ठीक है, जो कुछ हुआ, सो हुआ। लेकिन तुमको यह क्या जरूरत थी कि बाकी हिन्दुस्तान में घुसने की कोशिश करो। आप क्यों जूनागढ़ के दरवाजे पर आ बैठे ? क्या जरूरत थी आपको? वहाँ तक कहाँ से आया पाकिस्तान ? आप के कहने से ही तो हिन्दोस्तान के इस तरह दो टुकड़े बनाए गए। उसके बाद और भी टुकड़े करने हों, तो मैदान में खुली बातें करो। इस तरह से क्यों करते हो? ' भा०३