पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/३८०

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हैदराबाद ३४७ जन (नागरिक) हैं । यहाँ शहरियों का जो हक है, उतना ही हमारा हक रहेगा। अगर हम ऐसे हालात न बना सकें, तो हम राज्य करने के लायक नहीं है। हैदराबाद में जो लोग राज्य अपने हाथ में लेने की ख्वाहिश करते हैं, उनको मैं सावधान करना चाहता हूँ कि उन्हें ये सब बातें करने के लिए तैयार रहना पड़ेगा। हैदराबाद में से हमें अस्पृश्यता को निकालना है हैदराबाद में हमें हिन्दू मुसलमान की एकता बनानी है और हैदराबाद में हमें देहातियों की तरफ़ नज़र करनी है और उनको उठाना है । हैदराबाद में हमें राष्ट्रभाषा का प्रचार करना है । साथ ही यहां हमें सारे हैदराबाद को एक इकाई बनाना है । चाहे कोई हो, चाहे आन्ध हो, चाहे करताटक का हो और चाहे कोई और हो, हमें सब का एक ही ग्रूप बनाना है। जिन लोगों की ख्वाहिश जल्दी-से-जल्दी राज्य अपने हाथ में लेने की है, उन्हें इन कठिन सवालों की ओर तो ध्यान देना ही पड़ेगा। तो जैसा कि मैंने कहा, इन्हीं चार बातों पर हमारे राज्य की इमारत बननेवाली । अगर इन्हें हम ठीक कर लें, तब तो गान्धी जी की ख्वाहिश का राज्य हमको मिल सकता मैं इधर इसलिए आया हूँ कि इधर के हालत देख लूं, और कुछ आपको बताऊँ कि हमारी क्या ख्वाहिश है । आपके दिल में कुछ अविश्वास हो, तो वह भी मैं निकालना चाहता हूँ। कौम-कौम में अभी तक कुछ अन्देशा हो, तो उसे भी में दूर करना चाहता हूँ। कुछ लोगों के दिल में यह वहम है कि जिन्होंने पहले कुछ गलतियां की हैं, उनके ऊपर हम कुछ वैर भाव रखते हैं। वह चीज़ आपके दिल से मैं टाना चाहता हूँ। हमें किसी भी हैदराबादी के ऊपर वैर भाव नहीं रखना है । दयाभाव पूरा रह सकता है, क्योंकि धर्म का मूल तो दया है। परन्तु जो लोग ऐसे हैं कि उनके दिल में गुमान है कि उन्हें शहीद बनना है, उनको हम कैसे रोकेंगे ? जो खुदा के दरबार में शहीद बनकर जाना चाहते हैं, उनके काम में हम रुकावट डालें, ऐसे पापी हम क्यों बनें ? जाने दो उसको, जाए वह, यही हमारी ख्वाहिश है । आप यह समझ लीजिए कि कोई काम कानून से चलता हो, तो उसे कानून से चलने दो। कानून के मुआफिक काम करने में थोड़ा खर्चा तो होगा, लेकिन बह लाचारी है । कई मुख्य-मुख्य जवाबदार यहाँ से भाग गए हैं, परन्तु कम रुतबेवाले लोग तो यहाँ ही हैं। इस बारे में क्या करना है, यह तो गवर्नमेंट आफ इंडिया के सोचने की बात है। मैं कुछ जबाबदारियाँ ले सकता हूँ। सोचेंगे हम । लेकिन