पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/३८४

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तो आप हैदराबाद ३५१ दुकानों को लूटन की कोशिश या गवर्नमेंट का गल्ला लूटने की कोशिश करना और पुलिस के ऊपर पत्थर चलाना, यह कोई स्वराज्य चलाने का तरीका नहीं है। इससे तो हैदराबाद बदनाम होगा । अव आप की जो बदनामी आएगी, बह हमारे ऊपर पड़ेंगी। आप कह सकते हैं कि हिन्दुस्तान की गवर्नमेंट की तरफ़ से यहां राशन चलता है, उसमें चाहे बिगाड़ पड़े, हमारा क्या है ? लेकिन थोड़े दिन के बाद आपको अपना काम अपने हाथ में लेना है, फिर आप का चया होगा? उधर मध्यभारत में जरा सी ज्यादती से इतना बिगाड़ और इतना हल्ला हुआ। सरकार के विरुद्ध जितने ग्रुप थे, वे सब आपस में मिल गए और सब ने मिलकर ऐसी परिस्थिति पैदा कर दी कि गोली चलानी पड़ी और कितने ही विद्यार्थी घायल हुए तथा पांच सात मर गए। इससे वहां मुल्की मिनिस्ट्री की हालत ऐसी हो गई कि आज वहां मुल्की गवर्नमेंट ही नहीं है। इस तरह के हालत आपके यहां भी को बहुत मुशकिल पड़ेगी। मैं आप लोगों को सावधान करने के लिए आया हूँ कि आप को राजसत्ता तो मिलने वाली ही है, वह आपका ही हक है, आपका ही अधिकार है और आपके लिए ही हमने यह सब किया है। लेकिन इसके लिए आपको तैयार होना है । मैं आपको सावधान करने के लिए आया हूँ कि उसके लिए आप अपना संगठन ठीक कर लो, अपना दिल खुला रखो, अपना दरवाजा खुला रखो। कांग्रेस से भी मैं कहता हूँ कि कांग्रेस का दरवाजा बन्द नहीं करना चाहिए। उसमें अच्छे आदमियों के लिए जगह होनी चाहिए । और जो आदमी अच्छे हैं, समझदार हैं, उनको भी समझना चाहिए कि हमें राजतन्त्र में हिस्सा लेना है। उसके लिए यह जो संगठन है, उसके बन्धन नियम हैं, उसमें हमें पड़ जाना चाहिए। यही सब चीजें आप को समझाने के लिए में आया हूँ। आप जानते हैं, मेरी शारीरिक ताकत बहुत कम हो गई है। में सब को मिल नहीं सका। मुझको बहुत-से लोग मिलना चाहते थे। किसी-किसी को नाराज भी करना पड़ा । लेकिन मैं लाचार हूँ और आप लोगों से क्षमा चाहता हूँ कि मैं सबको नहीं मिल सका। इसको माफ कीजिए। लेकिन मुझे जो कुछ कहना था, वह सब मैंने इधर बैठकर कह दिया है। उसके ऊपर आप सोचिए। मै तो देहात में भी जाना चाहता था और मैं नलगुंडा भी जाना चाहता था। लेकिन मुझमें इतनी ताकत नहीं है। इसलिए मैं लाचार हूँ। लेकिन इधर बैठे बैठे मैंने जितनी बातें की हैं, उनके ऊपर आपको सोचना है। जितना