पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/३९

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1 C भारत की एकता का निर्माण जूनागढ़ के बारे में नवाब साहब को सलाह दी गई कि आप पाकिस्तान में शरीक हो जाओ, तो आपको स्वर्ग मिल जाएगा। वह वहाँ मिल गया। अब बेचारा कराची जाकर कैदी बना बैठा है । अब उसके दिल की हालत पूछो। खुदा को याद करता होगा । उस से पूछो कि जूनागढ़ में, हिन्दुस्तान में, जेल में रहना अच्छा है, या पाकिस्तान के स्वर्ग में? हमने बहुत कहा कि यह पाकि- स्तान का काम अच्छा नहीं है । हम को चैन से बैठने दो। आप अब अपना काम करो। आपके पाकिस्तान के एरिया (क्षेत्र ) में जितनी रियासतें हैं, बहावलपुर है, कलात है, और हैं, उनमें चाहे जो कुछ करो। हम उसमें नहीं पड़ेंगे। पर उस समय हमारा कहना नहीं माना। अच्छी बात है। हम समझे कि जूनागढ़ में गड़बड़ कर वे समझ जाएंगे। लेकिन फिर उन्होंने काश्मीर पर अड्डा लगाया। तब फिर हमने पूछा कि भाई आप काश्मीर में क्यों जा रहे हैं? तो कहने लगे कि हम तो वहां कुछ करते नहीं। काश्मीर में तो एक आजाद गवर्नमेंट बनी है, जिसे काश्मीर के मुसलमान चला रहे हैं लेकिन वह बात ज्यादा दिन नहीं चली। असली सब बात खुलने लगी। वहाँ फ्रंटियर ( सर- हद) के मुसलमान गए और उन्हें पाकिस्तान की तरफ से हथियार, कपड़ा, खाना- पीना और सब सामान दिया गया। उन को मोटर लारी और लड़ाई की सब चीजें भी दी गई। उनको लड़ाई की तालीम देने के लिए पाकिस्तान के अफसर भी भेजे गए । तब हमने पूछा कि यह क्या कर रहे हो? खुली लड़ाई क्यों नहीं करते ? तो कहने लगे, हम कुछ नहीं करते हैं। इतना होते हुए भी हमने कोई झगड़ा नहीं किया। हमारी तरफ से, हिन्दुस्तान को सरकार की तरफ से, सारी दुनिया की बड़ी-बड़ी सल्तनतों की जमा- यत को, जिसे यूनाइटेड नेशन्स कहते हैं, लिखा गया कि भाई, पाकिस्तान और हिन्दुस्तान दोनों देशों की सरकारें आपके यहाँ शरीक हैं, आप की संस्थाओं पर है, आप के संगठन में शामिल हैं, इस से आपके कानून से हम सीधी लड़ाई नहीं कर सकते । तो आप उसका फैसला कीजिए कि इस लड़ाई में पाकिस्तान का कितना हिस्सा है । जब हमने युनाइटेड नेशन्स को इस तरह से लिखा, तब उनकी तरफ से जफरला साहब कहते हैं कि वहाँ क्यों गए? बाहर जाने की क्या जरूरत है ? अपना मैल और मैला कपड़ा बाहर धोने की क्या जरूरत है ? वह धोना हो तो अपने घर में धोओ। अभी चार महीनों तक हम पंजाब में अपना मैला कपड़ा धोते रहे तो पूरा नहीं हुआ, अभी कहते हैं कि घर में अच्छी धोओ।