पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/४५

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४० भारत की एकता का निर्माण भी बुरा था, और वह था राजस्थान । तो राजस्थान में बहुत लोग गड़बड़ चला रहे थे, उनकी चलती तो देश में बहुत-से टुकड़े पड़ जानेवाले थे। लेकिन मुझे आप लोगों के सामने यह कहने में बहुत खुशी होती है कि हमारे देश में जो राजा थे, उन लोगों में बहुत-से समझदार लोग थे। उनमें से बहुतों में अपने देश के लिए बड़ा प्रेम है । आप यह न समझे कि राजा लोग बड़े स्वार्थी और घमंडी लोग हैं। आप यह भी न समझे कि उनके पास धन का और सत्ता का मद है और कोई स्वदेशप्रेम नहीं है। मैंने बहुत से राजाओं के साथ बातें की और हमारे और उनके बीच में जो पर्दा था, वह टूट गया । आपने देखा कि एक हफ्ता पहले मैं उड़ीसा में गया था। वहाँ मध्य प्रान्त की ४० रियासतें थीं। उन सब रियासतों के ४० राजाओं ने दस्तखत दे दिया है कि आप हमारा राज ले लीजिए और आप ही सारा प्रबन्ध कीजिए। पहले किसी को ख्याल भी नहीं था कि ऐसा हो सकता है । लेकिन हो गया। अब कई राजा परेशानी में पड़े हैं कि क्या हमारा भी यही हाल होगा। मैं विश्वास दिलाता हूँ कि हमारी नीयत ऐसी नहीं है कि हम किसी को खत्म कर दें। लेकिन जहाँ राजा और प्रजा एक विचार के हो गए और मान गए कि हमारे बीच में यह अच्छी चीज है, हम सब की सलामती इसी में है, तो हमें मानना पड़ता है। तो ४० रियासतों ने मेरी बात मान ली। राजा और रैयत दोनों ने मिलकर यह सब कुछ किया । जिन राजाओं के दिल में शक है, में विश्वास दिलाता हूँ कि आपको हमारे ऊपर अन्देशा करने की जरूरत नहीं है। यदि अब भी इसमें से कोई राजा हटना चाहता है, तो मैं उसे छोड़ने के लिए तैयार हूँ। लेकिन तब उनपर जो खतरा आ सकता है, उसकी जिम्मे- दारी उनको खुद लेनी होगी । उनको समझना चाहिए कि आज तो उन्हें अपनी रैयत को अपने साथ रखना होगा। जो राजा रैयत के साथ नहीं रहेगा, उसकी हस्ती जोखिम में रहेगी। रैयत को अपने साथ रखने की कोशिश करनी चाहिए। राजा लोग इसे समझते हैं। किसी के दिल में अगर कोई शंका है, तो उसे निकाल देना चाहिए। तो अब हमारा जो इतना बड़ा संगठन बना है, उसका हमें क्या करना चाहिए? हमने १५ अगस्त को सत्ता अपने हाथ में ली। अभी ज्यादा दिन नहीं हुए हैं, सिर्फ ४ महीने हुए हैं। ४ महीने में हमने क्या किया? जो कुछ हमने किया, उसकी फेरिस्त बताऊँ, तो आप ताज्जुब में पड़ जाएँगे, कि