पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/४८

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लखनऊ ४३ हूँ कि हमें हिन्दुस्तान को उठाना है। हिन्दुस्तान दो सौ साल से गिरा पड़ा रहा। उसके पहले भी वह गिरा था। अपने इस हिन्दुस्तान को हमें उठाना है। तो इस काम में हमें समझ से काम लेना पड़ेगा। हमें सोचना चाहिए कि हमें क्या चीजें चाहिएँ । एक तो हमारे पास मजबूत फौज चाहिए, हमें कमजोर आर्मी नहीं चाहिए । दूसरा हमें अपनी सेन्ट्रल गवर्नमेंट ( केन्द्रीय सरकार) को मजबूत बनाना चाहिए । आर्मी की तीन शाखाएँ हैं, हवाई फौज, समुद्र की फौज, और जमीन की फौज । वह सब मजबूत होनी चाहिए। क्योंकि यदि हमारा और पाकिस्तान का जिस तरह से काम चलता है, इसी तरह से चलता रहा, तो कभी-न-कभी खतरा है । यह बात छिपाना बेवकूफों का काम है। कम-से-कम मैं नहीं छिपाता। हम चाहते तो हैं मुहब्बत । लेकिन हम अपनी आँख में किसी को धूल फेंकने नहीं देंगे। तो हमारे आर० एस० एस० वाले जो नौजवान भाई हैं, जो गाँवों में घूमते रहते हैं और बहुत-सी बातें करते हैं, वे लोग अगर गल्त रास्ते पर चलते हों, तो उनको ठीक रास्ते पर लाना हमारा काम है। हमें उनको समझाना चाहिए कि उनका तरीका गलत है । यह काम आडिनेन्स से नहीं हो सकता, उससे तो वे उल्टे तरीके पर चलेंगे। इसलिए मैं उसके साथ कुछ-न-कुछ खामोशी से काम लेता हूँ। हाँ, अगर वे अपनी मर्यादा छोड़ देंगे तो फिर हमें लाचारी से सख्ती करनी पड़ेगी। लेकिन हमारे जिन नौजवानों पर हिन्दुस्तान का बोझ पड़ना है, उन्हें क्या यह शोभा देगा कि वे हमें इतना मजबूर बना दें? तो उन लोगों से में अदब से कहना चाहता हूं कि वे इस तरह से काम न करें। आप अब देख लीजिए कि हमने सेन्ट्रल गवर्नमेंट बनाई, तो वह भी ऐसी गवर्नमेंट नहीं बनाई, जो सिर्फ कांग्रेस की गवर्नमेंट हो । ठीक है, कांग्रेस के पास सत्ता तो है, लेकिन हम सत्ता का उपयोग इस तरह से नहीं करते कि सिर्फ अपनी ही चलाएँ। हमारी गवर्नमेंट में आप देखिए कि जो हमारा फाइनान्स मिनिस्टर ( अर्थ-सचिव ) है, वह एक कैपिटलिस्ट है। वह कभी कांग्रेस में नहीं था, कभी-कभी वह कांग्रेस के खिलाफ भी पड़ा । इसी देखिए डाक्टर श्यामा प्रसाद मुकर्जी हैं, वह हिन्दू महासभा के प्रतिनिधि हैं। हम उनको काफी छूट देते हैं। वह कुछ भी बोलें, उन्हें बोलने देते हैं । हमारे कई लोग कहते हैं कि डा० श्यामाप्रसाद मुकर्जी कांग्रेस गवर्नमेंट में बैठकर ऐसी बातें क्यों करते हैं, तो हम कहते हैं कि उन्हें बोलने दो। उससे क्या होता